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बच्चों के लिए कई रोक, पर उनके लिए सुविधाएं कितनी

आपकी कलम Published by: Paliwalwani Updated Fri, 09 Sep 2022 02:07 AM
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कानून कहता है कि बच्चों को काम पर नहीं लगाएं तो यह बताएं कि बच्चों के खेल के लिए उनके एरिया में कितने खेल के मैदान हैं, पढ़ने के लिए कितनी लाइब्रेरी है, कुछ सीखने के लिए कुछ हुनर पाने के लिए क्या व्यवस्था है। दिन प्रतिदिन बच्चों के कई स्कूल मे संस्कृति के खिलाफ वातावरण बनता जा रहा है बालिकाएं मेहंदी नहीं लगा सकती।

बच्चों को नैतिक शिक्षा, हैंडीक्राफ्ट व खेल के पीरियड नहीं होते हैं। और हम लोगों में भी एक बड़ा एक अजीब आचरण आते जा रहा है जब कोई बच्चा अंग्रेजी बोलता है तो हम बड़ा उसको मान सम्मान देते हैं और अपनी मातृभाषा में यदि कोई बच्चा बात करता है तो उसको हम उस पर अटेंशन नहीं देते हैं। अधिकतर गरीब घरों में, कम पढ़े लिखे घरों में, मजदूर वर्ग में जरूरत से ज्यादा बच्चे होते हैं। इसलिए वह बच्चे के ऊपर अपना ध्यान नहीं दे पाते। जबकि कई पढ़े लिखे, पैसे वाले परिवार जनसंख्या कंट्रोल को ध्यान में रखते हुए एक या दो बच्चे ही पैदा करते हैं।

आज जो देश में जनसंख्या को लेकर गणित बिगड़ा हुआ है वह ऐसे वर्गों ने ज्यादा बिगाड़ रखा है जो बच्चे को सही तरीके से पालने में सक्षम नहीं है। कानून, धार्मिक प्रवचन और सामाजिक कार्यकर्ता के समझाने के तरीकों से शायद इस तबके में यह परिवर्तन आ सके कि वह कम बच्चे पैदा करें तब निश्चित रूप से भारत एक मिसाल भारत बनेगा।

  • अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
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