म्हूँ फिदा वैईगी : राजेन्द्र सनाढ्य राजन
आपकी कलम
Published by: paliwalwani
Updated Fri, 10 Jan 2025 12:15 AM
म्हारी घरवाळी बोली,
आल्तक उमर वी अठावन,
माखा ई पड़वा लागी ग्यां,
आप रे मुंडा पे भना- भन।
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जवानी मा कस्या रेवता,
आप एकदम ऐ- वन,
म्हूँ आप पे फिदा वैईगी,
म्हने आद हैं आज भी वो दन।
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क ई बाल हा आप रा,
म्हारे घणा हा मन-भावन,
ज्यूँई म्हूँ वणा ने छूवती,
काया मा वैतों झन्न-झन्न।
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अजय देवगन जसी चाल ही,
गोविन्दा जस्या हा नयन,
जूँई नजरा मलती आपाणी,
म्हूँ वेई जाती पूरी हन- बन।
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कतरा बढ़्या लागता हा,
रेता आप हमेसा बंण-ठंण,
अबे मर्या उन्दरा जूँ आप मु,
वाना आई री हैं छंण-छंण।
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अबाणु ई क ई आपो नाक्यों,
फरो नोळ्या जूँ घन- मन,
काया बुढ़ी वी तो क ई,
राजन बुढ़ो थौड़ी व्यो मन।
राजन बुढ़ो थौड़ी व्यो मन।।
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राजेन्द्र सनाढ्य राजन
व्याख्याता- रा उ मा वि नमाना नि-कोठारिया, जि-राजसमंद
(राजस्थान) 99829807774
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