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BJP : बंधु या भगिनी? पर आकर अटक गया इंदौर का टिकट : डॉ आयुषी, डॉ दिव्या से लेकर कविता-माला-मालिनी तक के नाम आये चर्चा में...!

आपकी कलम Published by: नितिनमोहन शर्मा Updated Sun, 03 Mar 2024 07:21 PM
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अब किसका इंदौर? 

  • डॉ आयुषी के लिए पंकजा मुंडे व महाराष्ट्र की लॉबी ने लगा रखा है ज़ोर 
  • डॉ दिव्या के लिए निर्मला सीतारमण से लेकर मोदी फ़ेक्टर कर रहा काम 
  • माला को फिर एक बता रहे संघ की पसंद, मालिनी स्वच्छता के परफार्मेंस के दम पर 
  • शंकर लालवानी बिरादरी के दम पर बेफिक्र, टिकट होल्ड होने से अब असमंजस 
  • गौरव, मिलिंद के लिए स्थानीय मराठी समाज का बन रहा दिल्ली पर दबाव

देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा चुनाव का वक्त से पहले भाजपा ने शंखनाद कर दिया। अभी चुनाव आयोग मैदान में नही आया लेकिन 195 टिकट के साथ भाजपा ने मैदान पकड़ लिया। चुनावी समरभूमि में प्रदेश में भी 29 में से 24 "लड़ाके" तय कर दिए। 5 रोक लिए गए। इसमे एक इंदौर का और दो अगल बगल धार-उज्जैन के हैं।

इंदौर उज्जैन में महिला टिकट की संभावना बन रही हैं। ख़ुलासा फर्स्ट को उज्जैन में ज्यादा नजर आती हैं। उधर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जगत मामा यानी शिवराज सिंह का राजनीतिक पुर्नवास कर दिया है और वे फिर से गदगद भाव आरती उतरवाने लग गए हैं। भोपाल से उनकी दिल्ली रवानगी ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को गहरी राहत दे दी हैं। शिवराज ने स्वयम को गिलहरी स्वीकारते हुए मोदी की जयजयकार कर दी हैं लेकिन उनका प्रचार तंत्र प्रदेश को बताने से नही चुका कि प्रदेश में आये टिकट में सबसे ज्यादा शिवराज समर्थक ही है। अब देखना है दिल्ली इस दावे को किस नजर से देखती हैं? 

 नितिनमोहन शर्मा

जैसा कि एक दिन पहले ख़ुलासा फर्स्ट ने अंदेशा जताया था, वो ही हो गया। इंदौर का टिकट मुहाने पर आकर अटक गया। ख़ुलासा फर्स्ट ने आगाह भी किया था कि इंदौर को करना होगा अभी इंतजार। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पहली सूची जारी तो कर दी लेकिन इंदौर के हिस्से में इंतजार लिख दिया। ये इंतजार भी इसलिए ही आया है कि अहिल्या नगरी इंदौर से किसे चुनाव मैदान में उतारा जाए? बंधु या भगिनी में से किसे टिकट दे? भगिनियो के नाम ज्यादा चर्चा में हैं। इसमे स्व संत भय्यू महाराज की अर्धांगिनी डॉ आयुषी देशमुख से लेकर डॉ दिव्या गुप्ता और कविता पाटीदार-माला ठाकुर-मालिनी गौड़ तक के नाम शामिल हैं। बन्धुओ की बात करे तो मराठी कोटे में गौरव रणदिवे से लेकर एक बार फिर ताई पुत्र मिलिंद महाजन तक के नाम शामिल हैं। नाम तो कैलाश विजयवर्गीय का भी है और उनके खास जीतू जिराती का भी हैं लेकिन उनके समक्ष डॉ निशांत खरे जैसे नाम फिर सामने हैं जो महापौर चुनाव में टिकट पाते पाते रह गए थे। इन सब समीकरणों के बीच इंदौर संसदीय सीट का टिकट दिलचस्प हो गया हैं। 

 ख़ुलासा फर्स्ट ने ही किया था डॉ आयुषी का सबसे पहले ख़ुलासा 

राष्ट्र संत श्रद्धेय भय्यूजी महाराज की श्रीमती भी भाजपा की राजनीति में "चुनावी मटेरियल" हो सकती हैं? इस बात का सबसे पहले ख़ुलासा आपके प्रिय अखबार ख़ुलासा फर्स्ट ने ही किया था। तब तक राजनीतिक हलकों में उनका कोई "नामलेवा" ही नही था। सब चौके भी। भाजपा भी चौकी थी तब। ख़ुलासा फर्स्ट ने सबसे पहले उन्हें मिशन 2023 यानी हाल ही सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में दावेदार बताया था। विधानसभा 2 में उनकी दावेदारी बताई थी। आरएसएस के प्रदेश स्तर के शीर्ष नेतृत्व का वरदहस्त का इशारा भी किया था। तय भी लगभग ये हो चुका था कि रमेश मेंदोला विधानसभा 5 से लड़ेंगे और क्षेत्र 2 से वे लड़ेगी। आज उन्ही डॉ आयुषी देशमुख का नाम इंदौर लोकसभा के लिए प्रबलता से चल रहा हैं। उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश की मजबूत पार्टी लॉबी का साथ मजबूती से मिल रहा हैं। सूत्रों की माने तो स्व गोपीनाथ मुंडे की बिटिया पंकजा मुंडे डॉ आयुषी के लिए अगुवाकर बनी हुई हैं। नया नाम, नया चेहरा, युवा और सामाजिक-धार्मिक व सामुदायिक तानाबाना उनके पक्ष में मजबूती से काम कर रहा हैं। आरएसएस की पसंद भी उन्हें बताया जा रहा हैं। 

 डॉ दिव्या को पीएम, वित्त मंत्री का साथ? 

डॉ आयुषी देशमुख के बाद जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है वो है डॉ दिव्या गुप्ता का। हालांकि उनका नाम हर चुनाव के समय टिकट के लिए चलता हैं लेकिन वे चुनाव की राजनीति तक नही पहुँच पाई। डॉ दिव्या का नाम महापौर के चुनाव के समय और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के समय भी आगे था। इस बात फिर उनके नाम के चर्चे प्रदेशभर में हैं। सूत्रों की माने तो डॉ दिव्या का नाम सीधे पीएम मोदी तक दस्तक दे रहा हैं। इसके पीछे मोदी से उनके पुराने "पारिवारिक रिश्ते" बताए जा रहें हैं। सूत्र तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी दिल्लीमे उनकी मददगार बता रहें हैं। पार्टी संगठन में सक्रियता और सामाजिक क्षेत्र में चल रहे कामकाज डॉ गुप्ता की दावेदारी को एक बार फिर एक नए चुनाव में मजबूत कर रही हैं।

लालवानी को बिरादरी का भरोसा 

टिकट होल्ड होने से सबसे ज्यादा विचलित मोजूदा सांसद शंकर लालवानी हुए हैं। वे अब तक आश्वस्त थे कि उनका टिकट रिपीट होगा। इस आश्वस्ति के पीछे सबसे मजबूत कारण उनका सिंधी होना हैं। शंकर को 2019 में बिरादरी के आधार पर ही टिकट मिला था। भाजपा को इस बार भी एक सिंधी समुदाय से टिकट देना हैं। इंदौर संसदीय सीट इसके लिए सबसे मुफीद हैं। लिहाजा लालवानी टिकट होल्ड होने के बावजूद बेफिक्र हैं। सूत्रों की माने तो अगर " बन्धु-भगिनी" का झगड़ा बड़ा तो " साईं" फिर मुस्कुराते नजर आ सकते है जिसकी संभावना पहली सूची के बाद क्षीण नजर आ रही हैं। 

माला-मालिनी एक बार फिर चर्चा में 

एक बार फिर पूर्व महापौर और मोजूदा विधायक मालिनी गौड़ का नाम चर्चा में आया हैं। उनके साथ माला ठाकुर का नाम भी लिया जा रहा हैं। माला को तो 2023 के विधानसभा चुनाव में भी मजबूत दावेदार माना गया था। उन्हें संघ की पसंद बताया गया था। बताते है कि वे मिशन 2023 के मुहाने से लौटी हैं। सूत्रों की माने तो अगर पार्टी इंदौर में टिकट बदलती तो वे टिकट पाती। अब फिर एक बार वे दौड़ में हैं। बगैर किसी लॉबिंग के मालिनी गौड़ का नाम एक बार फिर दिल्ली तक पहुँचा हैं। स्वच्छता को लेकर उनका कामकाज और निर्विवाद छवि काम आ रही हैं। राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार भी " भगिनी कोटे" में दौड़ में शामिल हैं।

 गौरव के लिए स्थानीय मराठी समाज का दबाव 

डॉ आयुषी का नाम हालांकि यू तो मराठी कोटे में ही दिल्ली तक पहुँचा है लेकिन उन्हें " अप्रवासी" करार देते हुए स्थानीय मराठी नेता के लिए भी लॉबिंग चल रही हैं। इसमे भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे से लेकर सुमित्रा महाजन पुत्र मिलिंद महाजन तक के नाम शामिल हैं। समाज की लगातार हो रही अनदेखी ने समाज के कई नामचीन लोगो को आपसी मतभेद परे रख लामबंद कर दिया हैं। टिकट का होल्ड होना इस लामबन्दी को और मजबूती देगा।

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