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Jain wani : चौथा अंतर्राष्ट्रीय जैन सम्मेलन : "जैनों का योगदान: अतीत और संभावनाएं" : आचार्य लोकेश मुनि

अहमदाबाद Published by: paliwalwani Updated Tue, 14 Jan 2025 09:27 PM
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केनू अग्रवाल

अहमदाबाद. गुजरात विश्वविद्यालय में आयोजित चौथे अंतर्राष्ट्रीय जैन सम्मेलन का उद्घाटन आचार्य लोकेश मुनि ने "जैनों का योगदान : अतीत और संभावनाएं" विषय पर अपने प्रेरणादायक संबोधन से किया. इस सम्मेलन का उद्देश्य जैन सिद्धांतों को वैश्विक समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करना और जैन संस्कृति के ऐतिहासिक योगदान तथा उसकी आधुनिक प्रासंगिकता को उजागर करना था.

अहिंसा और शांति के सिद्धांत : आचार्य लोकेश मुनि ने जैन धर्म के अहिंसा, शांति और समता के सिद्धांतों को भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि ये पूरे विश्व के लिए उपयोगी हैं. उन्होंने नैतिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया.

वैश्विक सहभागिता : देश-विदेश से आए विद्वानों और शोधकर्ताओं ने जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं, जैसे पर्यावरणीय स्थिरता, नैतिकता और सामाजिक समरसता पर अपने विचार साझा किए.

सम्मेलन के आयोजक : यह आयोजन विश्व जैन परिसंघ, श्रुत रत्नाकर (अहमदाबाद), और श्री महावीर जैन विद्यालय के सहयोग से किया गया.

सम्मान और विशेष प्रस्तुति : पद्मश्री डॉ. कुमारपाल देसाई को उनके जीवनभर के योगदान के लिए "लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया गया. सम्मेलन में “अनमोल विरासत” नामक फिल्म का लोकार्पण भी किया गया, जिसे शासुन जैन कॉलेज के मार्गदर्शन में निर्मित किया गया.

मुख्य वक्ता : प्रमुख वक्ताओं में गुजरात विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्ता, नालंदा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह और अन्य सम्माननीय विद्वान शामिल थे, जिन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए. इस सम्मेलन ने न केवल जैन धर्म के अतीत के अद्वितीय योगदान को समझने का अवसर प्रदान किया, बल्कि आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता को भी उजागर किया.

गुजरात विश्वविद्यालय में आचार्य लोकेश मुनि ने अंतर्राष्ट्रीय जैन सम्मेलन को संबोधित किया. जैन सिद्धांत कई वैश्विक समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं. गुजरात विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जैन सम्मेलन का उद्घाटन अहिंसा विश्व भारती और वर्ल्ड पीस सेंटर के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश मुनि ने किया.

"जैनों का योगदान : अतीत और संभावनाएं" विषय पर बोलते हुए आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि जैन सिद्धांतों को अपनाने से कई वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है. उन्होंने अहिंसा और शांति की स्थापना में जैन धर्म के गौरवशाली योगदान को रेखांकित किया. जैन सिद्धांतों को समझना, उनके ऐतिहासिक महत्व को पहचानना और उनकी आधुनिक प्रासंगिकता को बढ़ावा देना जैन अनुयायियों का उद्देश्य है.

सिद्धांत न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक

आचार्य लोकेश मुनि ने अहिंसा, शांति और समता के जैन सिद्धांतों पर प्रकाश डाला और बताया कि ये सिद्धांत न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक हैं. उन्होंने समाज में नैतिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

यह सम्मेलन विश्व जैन परिसंघ, श्रुत रत्नाकर (अहमदाबाद) और श्री महावीर जैन विद्यालय के सहयोग से आयोजित किया गया. आयोजकों में श्रुत रत्नाकर के श्री जितेंद्र वी. शाह, जैना यूएसए के अध्यक्ष बिंदेश शाह, विश्व जैन परिसंघ के सिद्धार्थ कश्यप और श्री महावीर विद्यालय के हसमुख घड़ेचा शामिल थे.

कार्यक्रम में गुजरात विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा गुप्ता, नालंदा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह और अहमदाबाद की मेयर प्रतिभा बेन जैन ने भी भाग लिया. इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. कुमारपाल देसाई को "लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया गया. इसके अतिरिक्त श्री अभय श्रीमाल जैन के मार्गदर्शन में निर्मित और शासुन जैन कॉलेज द्वारा प्रस्तुत “अनमोल विरासत” फिल्म का लोकार्पण भी किया गया. सम्मेलन में देश-विदेश के कई विद्वानों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया और जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए.

मीडिया प्रभारी अहिंसा विश्व भारती

केनू अग्रवाल

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