एप डाउनलोड करें

शुभम की पत्नी बोली- पति की वजह से बची सैकड़ों जानें, खाई थी पहली गोली…मिले शहीद का दर्जा

उत्तर प्रदेश Published by: paliwalwani Updated Sat, 26 Apr 2025 12:39 AM
विज्ञापन
शुभम की पत्नी बोली- पति की वजह से बची सैकड़ों जानें, खाई थी पहली गोली…मिले शहीद का दर्जा
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

कानपुर. शुभम की पत्नी ऐशान्या ने महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान से मांग करते हुए कहा कि वहां पर हिंदू मुस्लिम पूछकर मेरे पति को गोली मारी गई। उसके बाद ही वहां भगदड़ मच गई।

भगदड़ की वजह से आतंकी भी इधर-उधर भागते हुए गोलियां बरसा रहे थे। गोली की आवाज सुनकर सैकड़ों लोग भागे, जिससे उनकी जानें बची। सबसे पहले मेरे पति के पास ही आतंकी आए और गोली मारी। पत्नी ने बताया कि वहां के मुख्यमंत्री से हमले में जान देने वाले 27 लोगों के परिवारों में से किसी ने बात नहीं की उनका बहिष्कार किया। वहां सिर्फ गृहमंत्री अमित शाह से ही बात की और मदद की गुहार लगाई। उन्होंने बताया कि वहां पर सभी की भूमिका संदिग्ध थी।

ऐशान्या बोलीं, मम्मी मेरे सामने इनको गोली मारी, मुझे नहीं मारी 
ऐशान्या ने रोते हुए कहा- मम्मी मेरे सामने इनको गोली मार दी। मुझे नहीं मारी। मुझे क्यों छोड़ दिया। वह मां और बहन भी शव से लिपटकर रोने लगीं। जो दिलासा देने पहुंचता, वह भी रोने लग रहा था। पूरी रात पत्नी ऐशान्या शव के पास बैठकर रोती रहीं। वह पति की तस्वीर पर हाथ फेरतीं, कभी उसे चूमतीं। 

पहलगाम में आतंकियों की गोली का शिकार हुए कानपुर के शुभम द्विवेदी का पार्थिव शरीर गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। इस दौरान पत्नी ऐशान्या ने रोते हुए कहा कि मम्मी मेरे सामने इनको गोली मार दी। मुझे नहीं मारी। मुझे क्यों छोड़ दिया। वह मां और बहन भी शव से लिपटकर रोने लगीं।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ देश की सुरक्षा को झकझोर कर रख दिया, बल्कि कई परिवारों की खुशियों को भी हमेशा के लिए छीन लिया। उन्हीं में से एक है कानपुर के हाथीपुर के रघुबीर नगर निवासी शुभम द्विवेदी का परिवार। 

रघुवीर नगर की गलियों में गुरुवार सुबह का माहौल गम और गुस्से से भरा हुआ था। हर आंख नम थी, हर दिल बोझिल। शहर ने अपने बेटे शुभम को खोया था, जो गया तो कश्मीर घूमने था, लेकिन चार कंधों पर वापस आया। बुधवार रात करीब डेढ़ बजे शुभम का पार्थिव शरीर घर पहुंचा था, जिसके बाद पूरा हाथीपुर चीखों की गूंज से कांप सा उठा था। शीशे में बंद पार्थिव शरीर से लिपटकर परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। 

गुरुवार सुबह तक हर किसी की आंखों में आंसू थे। रोते-बिलखते मां-बाप, बेसुध पत्नी और टूटे हुए भाई की चीखें घर की दीवारों से टकराकर बाहर तक गूंज रही थीं। शुभम की पत्नी ऐशान्या ने कभी सोचा भी नहीं था कि पति के साथ उसकी कश्मीर की यात्रा जीवन भर के पीड़ादायक सफर में बदल जाएगी। उनका सुहाग इतने कम समय में उजड़ जाएगा। 

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next