वाराणसी : काशी में ज्ञानवापी मस्जिद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. आज का दिन इस मामले को लेकर को लेकर बेहद खास रहा. आज ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर तीन बड़े फैसले लिए गए. इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यदि वहां पर कोई शिवलिंग है तो डीएम यह सुनिश्चित करें कि मुसलमानों के उस जगह प्रार्थना करने के अधिकार को प्रभावित किए बिना शिवलिंग की रक्षा की जाए. लोगों को नमाज से ना रोका जाए.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज 17 मई 2022 सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. इसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि मस्जिद में सर्वे के दौरान जिस जगह पर शिवलिंग मिलने की बात कही जा रही है, उस इलाके की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. कोर्ट ने इस संबंध में वाराणसी के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम बगैर किसी अवरोध के ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करना जारी रख सकते हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता हिंदू श्रद्धालुओं को नोटिस जारी किया. अब मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई के लिए 19 मई 2022 की तारीख तय की गई है.
दरअसल, 14 से 16 मई 2022 के बीच ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कार्य किया गया था. इस दौरान शिवलिंग मिलने का दावा किया गया. इसके बाद निचली अदालत ने नमाज पढ़ने वालों की संख्या सीमित कर दी.
इसके अलावा वाराणसी हाई कोर्ट सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 दिन का समय दिया है. इस दौरान कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया गया. उनकी जगह कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह के निर्देशन में सर्वे पूरा होगा. जिसमें अजय प्रताप सिंह उनकी मदद करेंगे. विशाल सिंह सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में जमा करेंगे.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने इस मामले को लेकर मीडिया से कहा, इस मामले में कोर्ट ने सर्वे कमिश्नर को नियुक्त किया लेकिन वो रिपोर्ट नहीं पेश करता है. ओवैसी ने कहा कि कोर्ट ने मुसलमानों का पक्ष अच्छी तरह से सुना बिना है फैसला सुना दिया. ओवैसी ने कहा कि ये पूरा का पूरा सर्वे गलत था. सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त करना 1991 एक्ट का उल्लंघन करता है. ओवैसी ने इस मामले में 19 मई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई पर भरोसा जताता हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उन्हें इस मामले में इंसाफ जरूर मिलेगा.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई 19 मई तक के लिए स्थगित कर दी है. मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिवलिंग है तो हम कहते हैं कि डीएम यह सुनिश्चित करें कि मुसलमानों के प्रार्थना करने के अधिकार को प्रभावित किए बिना शिवलिंग की रक्षा की जाए.