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दुर्व्यवहार के खिलाफ दी गई महिला की शिकायत पर समझौता करवाकर हड़पे 7 लाख, 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड

उत्तर प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Thu, 02 Sep 2021 02:12 PM
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कैथल में बुधवार को तीन पुलिस मुलाजिम सस्पेंड कर दिए गए हैं। मामला महिला के साथ दुर्व्यवहार का है। आरोप है कि पुलिस वालों ने शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय समझौता करवाकर 10 लाख रुपए लिए और इनमें से 7 लाख खुद ही हजम कर लिए। इस मामले में डीएसपी रैंक के अधिकारी ने जांच की तो उनकी रिपोर्ट के आधार पर अब तीनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है।

मिली जानकारी के अनुसार बीती 27 अगस्त की रात 10 बजे थाना शहर में एक महिला ने शिकायत दी थी। इस शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि वह करीब 4 घंटे पहले शाम 6 बजे फैक्ट्री मालिक के पास काम के लिए गई थी। फैक्ट्री मालिक ने उसके साथ गाली-गलौज किया और कहा कि कोई जरुरत नहीं है यहां आने की। इतना ही नहीं, उसे धक्का भी दे दिया और गलत व्यवहार किया। महिला ने केस दर्ज करने की मांग की थी। आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, बल्कि समझौता करवाने के नाम पर मोटी रकम हड़प ली। आरोपी पक्ष से 10 लाख रुपए लिए, जिनमें से सिर्फ 3 लाख रुपए शिकायतकर्ता महिला को दिए और बाकी 7 लाख को खुद ही बांट लिया। मामला रफा-दफा हो चुका था, लेकिन किसी ने इस संबंध में एसपी को शिकायत कर दी। एसपी ने जांच का जिम्मा डीएसपी दलीप सिंह को सौंपा।

जांच में कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए। इनमें मुख्य दोषी शहर थाना के एएसआई राजकुमार राणा और एएसआई सुदेश मिले। समझौता करवाने में पूंडरी थाने के हेड कॉन्स्टेबल दलबीर सिंह का भी नाम सामने आया। डीएसपी की जांच पूरी होने के बाद एएसआई राजकुमार राणा और एएसआई सुदेश के खिलाफ आईपीसी की धारा 166ए (दूषित अनुसंधान) व 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया। एएसआई राजकुमार और एएसआई सुदेश और हेड कॉन्स्टेबल दलबीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है।

कानून तुरंत केस दर्ज करने का

बता दें कि महिला के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत पर तुरंत केस दर्ज करने के आदेश लागू हैं। लेकिन इस मामले में एएसआई सुदेश व एएसआई राजकुमार ने केस दर्ज करने की बजाए समझौता करवा दिया। इसकी सूचना एसपी को मिल गई। उन्होंने जांच करवाई तो दोनों कसूरवार मिले। जिले में दूसरी बार IPC की धारा 166A के तहत केस दर्ज हुआ है। पहली बार धारा पिछले महीने एक इंस्पेक्टर व SI पर डॉक्टरों द्वारा जजों के फर्जी साइन करके टीए-डीए लेने व समय पर डयूटी ज्वॉइन न करने के मामले में लगी थी। दोनों अधिकारियों ने डॉक्टरों पर लगे आरोप को गलत बताया था। बाद में कोर्ट में आरोप साबित हुए तो डॉक्टरों के साथ-साथ इंस्पेक्टर व SI पर भी केस दर्ज हुआ था।

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