sunil paliwal-Anil Bagora
उज्जैन. कालों के काल महाकाल की नगरी उज्जैन को सदियों से तंत्र-मंत्र और साधना के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है। दीपावली की रात (कार्तिक अमावस्या) को यहां के श्मशान घाटों पर तांत्रिकों और साधकों का विशेष जमावड़ा देखने को मिलता है।
इस बार उज्जैन का विक्रांत भैरव श्मशान एक विशेष प्रयोजन को लेकर चर्चा में है। यहां बिहार चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशियों की ओर से तंत्र क्रियाएं करवाई जा रही हैं। तंत्र साधक जयवर्धन भारद्वाज ने बताया कि धनतेरस की रात्रि से ही सिद्धि और साधना की सफलता के लिए विशेष अनुष्ठान शुरू किया गया, जो दिवाली की रात्रि में पूर्ण हुआ।
भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि अनुष्ठान के मुख्य कारणों में से एक बिहार चुनाव भी है। कुछ प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं। साधक बताते हैं कि यह स्थान स्वयं भैरवजी की साधना स्थली रहा है (जिसे भैरवगढ़ भी कहा जाता है)। इस स्थान पर किए गए तप और अनुष्ठान शत प्रतिशत सफलता, सिद्धि और विजय की प्राप्ति निश्चित करते हैं।
उज्जैन के श्मशान को देश के पांच प्रसिद्ध श्मशानों (कामाख्या, तारापीठ, रजरप्पा, त्र्यंबकेश्वर) में गिना जाता है, जहां तंत्र साधना का विशेष प्रभाव माना गया है। कुछ तांत्रिक उल्लू की बलि देकर (मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार हैं), कछुआ साधना, कौड़ी साधना, रत्ती साधना और गौरी-गणेश साधना भी करते हैं।
धार्मिक नगरी उज्जैन विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल नगरी के नाम से जानी जाती है. यहां हर पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मे मनाया जाता है. कालों के काल महाकाल की इस भूमि और मां क्षिप्रा के तट पर स्थित श्मशान में तंत्र साधना का अपना एक अलग महत्व है. एक तरफ दिवाली पर घर दुकान प्रतिष्ठान ऑफिस में लक्ष्मी माता का पूजन दीपावली पर होगा. तो वहीं उज्जैन के श्मशान में लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तंत्र मंत्र और टोटके का सहारा लिया जा रहा है. लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए देश भर के कई तांत्रिक तंत्र साधना करने उज्जैन के श्मशान पहुंचे हैं. जो कि पांच दिन तक श्मशान में रहकर तंत्र साधना करेंगे.
तंत्र क्रिया से जुड़े लोग सालभर दिवाली की काली रात का इंतजार करते हैं. धन प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिए तांत्रिक घनी अँधेरी रात में जलती चिता के पास श्मशान में बैठकर रात भर पूजा करते हैं. ये पूजा पांच दिन तक चलती है. जिसमें तांत्रिक तंत्र साधन करते हैं रात 12 बजे से शुरू होने वाली तंत्र क्रिया देर रात तक चलती है.
उज्जैन के तांत्रिक भय्यू महाराज नें लोकल 18 को बताया कि वह चक्रतीर्थ श्मशान में 16 तारीक से कार्तिक मास की अमावसया (दीपावली) की रात तक तांत्रिक तंत्र साधना करने पहुंचे हैं. रात करीब 12 बजे लक्ष्मी माता को खुश करने के लिए शुरू हुई. जलती चिता से कुछ ही दूरी पर रोजाना करीब तीन घंटे तक चलने वाली तंत्र साधना भैरव मंदिर में शुरू हुई जिसमें नींबू, कील, मिर्च, मदिरा, मिठाई, मावा, फल, सिंदूर, अबीर, माचिस, कंडे, फूल, दीपक से लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए तंत्र क्रिया की गई.