दुर्गा शक्ति की उपासना का पर्व गुप्त नवरात्रि इस बार आषाढ़ मास में 11 जुलाई 2021 रविवार से शुरू हो रहे है। आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ ही पुष्य नक्षत्र में नवरात्रि की शुरुआत होगी तथा सर्वार्थ सिद्धि योग में 19 जुलाई को गुप्त नवरात्रि की समाप्ति होगी, पौराणिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए, घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम मां दुर्गा जी की आराधना करनी चाहिए। वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है, इसमें 2 गुप्त एवं 2 उदय नवरात्रि होती हैं। चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से भी जानी जाती है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा मां के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त नवराति में दुर्गा माता के 10 स्वरूपों की पूजा होती है. गुप्त नवरात्रि में जिन 10 देवियों की पूजा अर्चना की जाती है, वे निम्न हैं. मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी.
आषाढ़ घटस्थापना: 11 जुलाई 2021 रविवार को
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 05:31 से सुबह 07:47
अवधि – 02 घंटे 16 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:59 से दोपहर 12:54
प्रतिपदा तिथि शुरु – जुलाई 10, 2021 को सुबह 06:46 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्ति – जुलाई 11, 2021 को सुबह 07:47 बजे से
नवरात्रि शुरू होने के दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके पूजा शुरू की जाती है. मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखकर इनकी पूजा की जाती है. इन्हें सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी आदि चीजें अर्पित करें. अंतिम दिन हवन आदि करके पूजा समाप्त करें.