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वसुधैव कुटुंबकम अनुपम निक्षर : साहित्य सृजन भाव था गुरूदेव टैगोर का : मधु पालीवाल

राजसमन्द Published by: M. Ajnabee-Kishan Paliwal Updated Fri, 08 May 2020 05:29 AM
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जिन्होंने लिखी गीतांजलि : जयंती पर दी काव्यांजलि : गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की मनाई जयंती 

राजसमंद । (प्रदीप कुमार सिंह...) साहित्य के नोबल पुरुस्कार प्राप्त गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर साकेत साहित्य संस्थान ने उनके साहित्यिक योगदान को स्मरित हुए काव्य के माध्यम से नमन किया। संस्थान के पर्व उत्सव जयंती प्रभारी गोपालकृष्ण खंडेलवाल ने बताया कि साहित्यिक व्हाट्सएप पटल पर नारायणसिंह राव ने रवींद्रनाथ टैगोर के कथन आइए हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका निडरता से सामना कर सकें“ उद्दरण करते हुए वर्तमान में व्याप्त कोरोना महामारी का निडरता से सामना करने का आव्हान किया। कृष्णकांत साँचीहर ने “ हम कलम के हैं आदर्श, टैगोर दिनकर पंत के प्रतिदर्श भावना पालीवाल ने जन गण मन को जिसने बनाया, काव्य पटल पर वो मुस्काया प्रेम कुमावत ने बचपन का नाम इन्होंने रबी पाया, नोबल पुरुस्कार इन्होंने पहला पाया नारायणसिंह राव ने लिखी जिन्होंने लिखी गीतांजलि अर्पित हैं आज काव्यांजलि कविता के माध्यम से उन्हें याद किया गया। इस अवसर पर मधु पालीवाल ने वसुदेव कुटुंबकम अनुपम निक्षर : साहित्य सृजन भाव था गुरुदेव टेगोर का, विणा वैष्णव, पुरण शर्मा परितोष पालीवाल, राजेन्द्र सनाढ्य राजन बख्तावरसिंह, प्रीतम, गोपालकृष्ण खंडेलवाल, गोविंद व्यास, डॉक्टर संपतलाल रेगर, कमलेश जोशी, रामगोपाल आचार्य, धनपाल सिंह सोलंकी, भाविका बंधु, यशवंती तिवारी, मनोजसिंह राजवा, राधेश्याम राणा, छैलबिहारी शर्मा, धर्मेंद्र सालवी, मुकेश वैष्णव, अश्वरत्न भारतीय, राजू राजस्थानी सहित 2 दर्जन से अधिक कविगण ने दोहे मुक्तक गीत गजल कविताएं प्रस्तुत की।

●!!...वसुधैवकुटुंबकम् अनुपम निक्षरः साहित्य सृजन भाव था गुरुदेव टैगोर का...!!●

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ग्रामीण जीवन फिर से जीवित हो

स्वप्न था गुरुदेव टैगोर का

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कृषि,शिल्प,ग्रामोद्योग का विकास ही

प्रयत्न था गुरुदेव टैगोर का

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मशीन टेक्नोलॉजी प्रभुत्व की चिन्ता

प्रकृति प्रेम था गुरुदेव टैगोर का

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ईश्वर रचना संकट में भू बचे अस्तित्व 

संदेश था गुरुदेव टैगोर का

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निडर हो सामना करो समस्याओं का

ध्येय था गुरुदेव टैगोर का

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काबिलियत को उजागर करना ही

सफल मंत्र था गुरुदेव टैगोर का

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जन-गण-मन अधिनायक का उदघोष

परम सत्य था गुरुदेव टैगोर का

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जय हे भारत भाग्य विधाता का घोष

मनु समर्पित था गुरुदेव टैगोर का

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● स्वरचित : मधु पालीवाल

कांकरोली,राजसंमद

● पालीवाल वाणी ब्यूरो-M. Ajnabee-Kishan Paliwal...✍️

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