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करधर दरबार में -भामाशाहों ने खूब दिखाया जोश-उमड़ा आस्था का सैलाब

राजसमन्द Published by: महावीर व्यास, किशन पालीवाल Updated Thu, 03 May 2018 01:52 PM
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बड़ाभाणुजा। समिति अध्यक्ष रामचन्द्र पुरोहित, मंत्री धर्मनारायण पुरोहित, कोषाध्यक्ष पन्नालाल पुरोहित व शंकरलाल पुरोहित ने पालीवाल वाणी को बताया कि राजसमंद की तपोभूमि बड़ाभाणुजा स्थित करधर दरबार में आयोजित नवनिर्मित शिखर मंदिर ध्वजा, कलश स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव मंगलवार को परवान पर रहा। चैथे दिन करधर अमृत कलश शोभायात्रा पूरे शाही ठाठ-बाठ से निकली गई। शोभायात्रा एवं करधर धाम में दर्शन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों लोगों की मौजूदगी से करधर दरबार व आसपास का क्षेत्र दिनभर जन समूह से अटा रहा। इधर, मंदिर प्रतिष्ठा एवं सेवा कार्यो से जुड़ी बोलियों की अनूठी धार्मिक रस्म भी पूर्ण की गई जिसमें लाभार्थियों ने जोश के साथ हिस्सा लेकर अपना सेवा भाव व्यक्त किया। पांच दिवसीय महोत्सव बुधवार को संपन्न हुआ। समिति अध्यक्ष रामचन्द्र पुरोहित, मंत्री धर्मनारायण पुरोहित, कोषाध्यक्ष पन्नालाल पुरोहित व शंकरलाल पुरोहित ने पालीवाल वाणी को बताया कि आस्था के महासुमंद में भक्तों ने अपनी आस्था प्रकट करते हुए दर्शन् किए। समिति सदस्यों की अगुवाई में सैकड़ों कार्यकर्ता पेयजल, भोजनशाला, पार्किंग, स्वच्छता, रोशनी, स्वागत-स मान जैसी सभी व्यवस्थाओं के लिए मोर्चा संभाले हुए है।

श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा

करधर धाम में तय कार्यक्रम अनुसार शोभायात्रा के लिए सुबह छह बजे से ही बड़ाभाणुजा स्थित चैक में श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। इस दौरान स्थानीय व आसपास के गांवों, ढाणियों व भागलों से धर्मप्राण महिलाओं, पुरूषों व बच्चों का आना लगातार जारी रहा। करधर दरबार में पालीवालों का भी जन-सैलाब देखते ही देखते यहां बड़ी तादाद में जन समुदाय एकत्र हो गया। इसके बाद गगनभेदी जैकारों के साथ शोभायात्रा करधर धाम के लिए रवाना हुई। जगह-जगह स्वागत द्ववार लगाएं गए वही पूष्प वर्षा से करधर बावजी का स्वागत होता रहा-करधर दरबार में पहली बार देखने को मिला ऐसा दृश्य। शोभायात्रा में सबसे आगे करीब दो दर्जन सजे-धजे अश्व एवं ऊंट चल रहे थे। इन पर लाभार्थी परिवारों के सदस्य सवार थे। इनके साथ गजराज भी थे जबकि इनके पीछे दर्जन भर बग्गियां चल रही थी जिनमें श्रद्धालु सवार थे। पीछे एकाधिक बैण्ड-बाजे पूरे मार्ग में भक्ति भजनों की मधुर स्वर लहरियां बिखेर रहे थे वहीं डीजे पर भी कर्णप्रिय भक्ति संगीत व धुनें करधर दरबार में पधारे भक्तजनों को आनंदित कर रही थी। शोभायात्रा में दो शाही रथ शामिल थे जिन्हें आकर्षक सजाया गया था। इनमें एक रथ में बड़ाभाणुजा गांव स्थित आराध्य देव भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का छवि स्वरूप वेवाण में विराजित था तो दूसरे रथ में श्री करधर भैरूनाथ की मनमोहक चित्र छवि शोभायमान थी। रास्ते भर में भगवान श्री लक्ष्मीनाराण व श्री करधरनाथ के दर्शन के लिए रथों के ईदगिर्द लोगों की भारी भीड़ बनी रही और अपने इष्टदेव की एक झलक पाने के लिए लोग उतावले हो रहे थे। रथों में सवार लाभार्थी भक्त मार्ग में निरंतर प्रभु की सेवा कर रहे थे। शोभायात्रा में हजारों मातृशक्तियां एवं बालिकाएं अपने सिर पर मंगल कलश धारण किए डग भर रही थी तो इससे कहीं अधिक तादाद में मातृशक्ति साथ में मंगल गीत गायन करती चल रही थी। बैण्ड पर बजते भक्ति गीतों पर हर समुदाय के लोग झूम रहे थे। नासिक ढोल पार्टी ने भी लोगों को नाचने पर विवश कर दिया। साथ ही मेवाड़ी पगड़ी, साफा सहित पार परिक पोशाकों में सजे सेवा भावी कार्यकर्ता व श्रद्धालु भगवान लक्ष्मीनारायण व करधर बावजी के गगनभेदी जैकारे लगाते आगे बढ़ रहे थे।

गुलाब जल वर्षा से हुआ भव्य शोभायात्रा का स्वागत

भव्य शोभायात्रा के स्वागत में मार्ग में कई जगह स्वागत द्वार लगे थे। मार्ग में भैरूजी का बडला स्थित करधर बावजी विश्राम स्थल पहुंचने पर आसमान से फव्वारा संयंत्र के जरिए गुलाब जल वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। यहां प्रभु ने अल्प विश्राम किया और फिर शोभायात्रा ने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। करीब तीन किलोमीटर के लंबे सफर के बाद शोभायात्रा करधर धाम पहुंची जहां कलश पूजन सहित अन्य धार्मिक रस्में संपन्न हुई।

बोलियों की अनूठी धार्मिक रस्म हुई

इसके बाद मंदिर प्रांगण में हजारों धर्मप्रेमियों की मौजूदगी में बोलियों की अनूठी धार्मिक रस्म शुरू हुई। इसके तहत नवनिर्मित शिखर मंदिर पर कलश स्थापना, प्राण-प्रतिष्ठा, करधर दरबार में विभिन्न देवी-देवताओं की स्थापना, सभा मंडप पर कलश सहित विभिन्न सेवा कार्यो के लिए बोलियां लगाई गई। दो घंटे तक चले इस विशेष कार्यक्रम में बड़ाभाणुजा सहित विभिन्न गांवों से आए भामाशाहों ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए पूरे जोश व उत्साह से बोलियों में हिस्सा लिया। इस दौरान नवनिर्मित शिखर मंदिर पर कलश स्थापना की सबसे महत्वपूर्ण बोली पालीवाल समाज 44 श्रेणी के उद्योगपति बड़ाभाणुजा निवासी भामाशाह श्री जमनालाल पालीवाल ने लगाकर सेवालाभ लिया। कार्यक्रम में सर्वश्री भामाशाह व लाभार्थी लक्ष्मीलाल सोनी मचींद, भीमसिंह, खूबीलाल पांडेचा, किशनसिंह झाला, पन्नालाल सुथार भाणुजा, ख्यालीलाल कोठारी मोलेला, भेरूलाल बोहरा मोलेला, अशोक जोशी बामनहेड़ा, नरेन्द्र पन्नालाल राजावत सेमल, गणपतलाल धाकड़ शिशोदा, हिम्मतलाल गोठी मचींद, कालूलाल खटीक गांवगुड़ा, जगन्नाथ डागलिया फतहपुर, पर्वतसिंह कालूसिंह गांवगुड़ा, लालसिंह मदनसिंह गांवगुड़ा, भेरूलाल गाडरी व खमाणलाल गाडरी कामा, भेरूलाल सोनी मचीेद, रोशनलाल सोलंकी कुंचोली, हीरालाल नागडिया, देवीसिंह दसाणा, पन्नालाल कोठीकोड़ा, भंवरलाल सांखला, हुक्कीचंद कोठारी, प्यारचंद कोठारी, मेघराज धाकड़ सहित सैंकड़ो की तादाद में सेवाभावी कार्यकर्ता एवं श्रद्धालुजन मौजूद थे। आयोजन समिति अध्यक्ष श्री रामचंद्र पुरोहित, मंत्री श्री धर्मनारायण पुरोहित, कोषाध्यक्ष श्री पन्नालाल पुरोहित व श्री शंकरलाल पुरोहित ने पगड़ी, स्मृति चिन्ह व छवि भेंटकर बोली लगाने वाले लाभार्थियों का सम्मान किया। समारोह का संचालन श्री मांगीलाल मादरेचा ने किया। इधर, अनुष्ठानों के क्रम में विप्रजनों ने पुष्पाधिवास, फलाधिवास, महास्नान, शय्याधिवास, शिखर अभिेषक व संध्या आरती सहित प्रतिष्ठा से पूर्व की विभिन्न रस्में स पादित कराई।

पूरा परिसर भक्तों से खचाखच

दूसरी ओर करधर धाम में सुबह से ही दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। शोभायात्रा पहुंचने के बाद तो पूरा परिसर भक्तों से खचाखच भर गया और कहीं तिलभर जगह भी खाली नहीं बची। श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते लंबा-चैड़ा परिसर भी छोटा पड़ गया। मंदिर के बाहर व आसपास भी यही स्थिति बनी रही जबकि बड़ाभाणुजा गांव से करधर धाम तक मार्ग दुपहिया व चारपहिया वाहनों की आवाजाही से हरपल आबाद रहा। यही नहीं बार-बार मार्ग में जगह-जगह जाम लगते रहे। यहां पहुंचे लोगों ने दर्शन लाभ लिया और इसके बाद गौतम प्रसादी का आनंद लिया। मंदिर के भीतर व बाहर, मार्ग में और यहां तक कि गांव में मुख्य मार्ग स्थित द्वार तक सभी जगह व्यवस्थाओं के लिए कार्यकर्ता तत्पर रहे। मचीन्द हाल मुंबई निवासी सर्वश्री शंकरलाल जी, भंवरलाल जी , किशनलाल जी, राजकुमार जी, भैरूलाल जी, लक्ष्मीलाल जी, मुकेश जी व विनोद कुमार एवं सांखला परिवार प्रतिष्ठा से पूर्व की विभिन्न रस्में स पादित कराई।

हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा होगी

महोत्सव के अंतिम दिन बुधवार को सुबह सात बजे मुख्य कार्यक्रम शुरू होगा। इसके तहत वैदिक रीतिनुसार मंदिर शिखर पर ध्वजा एवं कलश स्थापना की जाएगी वहीं मु य द्वार का उद्घाटन भी होगा। मंदिर प्रतिष्ठा की शुभ वेला में आसमान से हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाएगी। इसके बाद दस बजे से जग महोत्सव (स्वामी वात्सल्य) कार्यक्रम शुरू होगा जो शाम तक चलता रहेगा।
फोटो प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत निकली करधर अमृत कलश शोभायात्रा।
बोलियों की धार्मिक रस्म के लिए आयोजित समारोह।

पालीवाल वाणी ब्यूरो-महावीर व्यास, किशन पालीवाल ✍️
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