राजसमंद। होलिका दहन के बाद चल रहा फागोत्सव मेला धार्मिक भावनाओं का अनोखा संगम है। पन्द्रह दिनों तक प्रतिदिन चारभुजानाथ की बाल प्रतिमा के श्रृगांरित दर्शन, सोने व चांदी की पालकी में झूला झुलाने के मनोरथ के दर्शन होते हैं। इसी श्रंृखला के तहत मंगलवार को मंदिर के पुजारियों व श्रृद्धालुओं ने ठाठ-बाट के साथ प्रभु श्रीचारभुजानाथ की प्रतिमा के साथ रंग महोत्सव यानि रंग पंचमी का महोत्सव मनाया। रंग महोत्सव सायं साढ़े चार बजे देवस्थान के सिपाही द्वारा तोप दागने के साथ प्रारम्भ हुआ। पहले से ही मंदिर प्रांगण में दो बड़े कड़ाहों में हल्दी व केसरिया रंग का घोल बनाकर तैयार रखा गया था। पुजारियों ने साढ़े तीन बजे से साढ़े चार बजे तक प्रभु के समक्ष हरजस व स्तवन का गायन किया। रंग महोत्सव को देखने के लिए मंदिर की छतों व प्रांगण में अपार जनसमूह उमड़ पड़ा। मंदिर के गर्भ गृह से पुजारी किरणपाल द्वारा बाल प्रतिमा को सिर पर धारण कर होली खेलत हरीके द्वारे ....गाते बजाते व नाचते हुए पुजारी प्रांगण में आए। सोने के कटोरे में केसर घोली खेलत श्याम-राधा संग होली ... पिचकारी भरकर पुजारीगण बाल प्रतिमा संग होली खेल रहे थे। देखते ही देखते रंगों की बौछारों से हर श्रृद्धालु केसरिया रंग से सराबोर हो गया। प्रत्येक श्रृद्धालु प्रभु संग होली खेलने को उत्सुक था। पुजारियों व श्रृद्धालुओं ने पिचकारीयो से रंग भर-भर कर एक दूसरे पर जमकर उड़ेला। बाल प्रतिमा को पूरे मान मनुहार व अरदास से होली खेलाई गई। बाल प्रतिमा को आरती के साथ ही पुन: गर्भ गृह में प्रतिस्थापित करवाया। इस दौरान सुरक्षा के दृष्टि से पुलिस व्यवस्था भी चाक-चौबंद थी।
फोटो - चारभुजा में आयोजित फागोत्सव मेला में प्रभु श्रीचारभुजानाथ की बाल प्रतिमा के साथ फाग खेलते श्रद्धालु।