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चारभुजानाथ का मुख्य लक्खी मेला आज, लाखो श्रद्धालुं लेंगे भाग

राजसमन्द Published by: Suresh Bhat/Manish Dave/Ayush Paliwal Updated Wed, 23 Sep 2015 06:10 PM
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राजसमंद। मेवाड के चार धामों में से एक चारभुजानाथ जी धाम में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जलझूलनी एकादशी पर लगने वाले प्रसिद्ध लक्खी मेले की तैयारियों ने अंतिम रूप ले लिया है। मेले को लेकर प्रशासन एवं मंदिर के पुजारी पूरी तरह से सजग हें। भगवान चारभुजानाथजी का मेला यों तो दो दिन पहले से ही शुरू हो गया। लेकिन मुख्य मेला आज गुरूवार को भरेगा। मेले में भाग लेने दर्शनार्थियों की आवक बढती जा रही है। मेले में हिस्सा लेने के लिए राजस्थान सहित मध्यप्रदेश एवं गुजरात सहित अन्य राज्यों के दर्शनार्थी हजारों की संख्या में पहुंच रहे हैं। जानकारी के अनुसार पूर्व में हुई मेला कमेटी की बैठक में रोडवेज द्वारा इस बार 70 रोडवेज बसें अतिरिक्त लगाने को कहा है। जिससे श्रृद्धालुओं को वापस अपने गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा। वहीं मेला शुरू होते ही मंदिर में दर्शनार्थियों की लम्बी कतारें लग गईं। भक्त चारभुजानाथ की जय-छोगाला छैल की जय के जयकारों से धार्मिक नगरी चारभुजा को गुंजायमान कर रहे हैं। मेले को लेकर कस्बे को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

पाण्डवों द्वारा स्थापित

चारभुजानाथजी के मेले को लक्खी मेला भी कहा जाता है क्योंकि यहां लाखों की संख्या में श्रृद्धालु देवझूलनी एकादशी के दिन दर्शनों के लिए आते हैं। उक्त मेला धार्मिक भावना से जुडा मेवाड की मिश्रित संास्कृतिक धरोहर है। ऐसी मान्यता है कि पांच हजार साल पहले पांडवों ने अज्ञातवास के समय वोराठ की इस धरती पर विचरण करते समय भगवान श्रीकृष्ण की स्थापना की थी। इसके बाद से गोपवंश जो गुर्जर समाज के है ने भगवान श्रीकृष्ण के रूप चारभुजानाथ की पूजा शुरू कर दी। तभी से यहां पर धार्मिक महोत्सव के रूप में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है।

शाही सवारी के लिए तैयारियां पूर्ण

जिले के चारभुजनाथ में मेवाड के प्रसिद्ध मेले के लिए देवस्थान विभाग एवं मंदिर के पुजारियों ने शाही सवारी को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर लीं हैं। इसके तहत मंदिर के भंडार से सोने-चांदी की छडी, गोटे तथा कई तरह के शस्त्रों को निकालकर साफ-सफाई कर ली है, वहीं व्यवस्थापकों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दे दीं गईं हैं। भगवान के बालस्वरूप को सोने-चांदी की जिस रेवाडी में ले जाया जाएगा वह तैयार कर ली गई है। 

ठाकुरजी ऐसे करेंगे स्नान

जलझूलनी ऐकादशी पर गुरूवार को ठाकूरजी रजत पालकी मे बिराज कर सरोवर दुधतलाई पर स्नान को लेजाया जायेगा। वही भक्तगण पुजारी भगवान के आगे मेवाडी वेशभूषा में छडी, गोटे तथा नानाप्रकार के शस्त्रो के साथ बेण्ड बाजो की घून पर नाचते गाते चलेगे तथा पिछे भक्त गण भगवान के जयकारो लगाते हुए चलेगे। यह सबसे बडा मेला होता है। वही मेले को लेकर भक्त गुरूवार की रात देर तक अपने दलो के साथ पहुॅच गये वही आसपास के गांवो के लोग आज प्रात: 11 बजे तक पहुॅच जायेगे। चारभुजानाथ को सोने-चांदी की पालकी में विराजित एवं श्रृंगारित कर सुबह दस बजे के करीब शोभायात्रा के रूप में शाही सवारी रवाना होगी। जो कस्बे के प्रमुख मार्गों से होती हुई दूधतलाई पहुंचेगी। जहां पूरे विधि-विधान से उन्हें शाही स्नान कराया जाएगा। इस दौरान मंदिर के पुजारी, सेवक अपने हाथों में चांदी के छडी लेकर साथ चलेंगे। वहीं हजारों श्रृद्धालुओं की मौजूदगी में ठाकुरजी को स्नान कराएंगे।

रहेगी पैनी नजर

मेले के दौरान जिला प्रशासन एवं पुलिस के आलाधिकारी पैनी नजर रखेगी। इस दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान मौजूद रहेंगे।

देर रात तक पहुचने लगे श्रद्वालु

ठाकूरजी के वेवाण मे शामिल होने के लिए बुधवार देर रात तक देश के कई प्रांतो से श्रृद्धालुओं के जत्थे चारभुजा धर्मनगरी मे पहुॅच गये वर्ष मे एक बार भरने वाले देवझूलनी मेले मे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उतर प्रदेश सहित राजस्थान के कोने-कोने से श्रृद्वालुओं के दल पहुंच गये।

फोटो- चारभुजा मेले में पंहुचता मध्यप्रदेश का दल

मेले कि पूव संध्यापर लगी दर्शनो के लिए कतार

बुधवार को मंगला आरती से ही श्रृद्धालुओ की कतारें प्रारम्भ हुई। वही श्रृद्वालुओं को घन्टो लाईन मे खड़े रहने के बाद दर्शनो का नम्बर आया। वही धर्मनगरी चारभुजा मे धर्मशाला, गेस्ट हाउस, विद्यालय सहित पुजारियों तथा ग्रामिणों के मकान भी श्रृद्धालुओं सहित अपने रिश्तेदारों से भरे दिखाई दिए। वहीं कस्बे में जगह-जगह राम रसोडे लग गये। पुलिस प्रशासन द्वारा पुलिस का जाप्ता लगाया गया जो मंदिर के अन्दर से लगाकर नक्कार चौक, मुख्य बाजार, डाकोतियों का दरवाजा, सैवन्त्री रोड, दुधतलाई तथा ठाकूरजी की सवारी के साथ रहकर जेबकतरों तथा भगदड़ के हालात नही बने इस पर पूरी नजर रखेंगे।

सवारी वाले पुरे रोड दुधतलाई तक लगी स्टाले

चारभुजा मेले को लेकर प्रतिवर्ष कि भांती सैवन्त्री रोड़ व दुधतलाई तक मिठाई तो कही पानी के पाउच ,तो कही फलाहारी तो कही फल बांटने के लिए स्टॉले लग चुंकि है वही मेले मे मनोरंजन के चकरी, डोलर भी लगकर तैयार हो गये है।

आज के मुख्य कार्यक्रम

सुबह 5 बजे मंगला के दर्शन, 11 बजे ठाकूरजी का वैवाण निकलेगा, 5.30 बजे पुन: ठाकूरजी मंदिर पधारेंगे एवं सायं 6.30 बजे पुन: मंदिर में दर्शन खुलेंगे।

 

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