साउथ कोरिया में एक ऐसा टॉयलेट बनाया गया है, जिसमें जाने के बाद लोगों को पैसे दिए जा रहे हैं. इसके पीछे की वजह हैरान करने वाली है. दरअसल ये टॉयलेट उल्सन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसरों ने मिलकर डिजाइन किया है. इस टॉयलेट के मल से बिजली पैदा की जाती है.
इस स्पेशल टॉयलेट को उल्सन यूनिवर्सिटी के कैंपस में बनाया गया है. जो भी स्टूडेंट इस टॉयलेट का इस्तेमाल करता है, उसे इनाम के तौर पर डिजिटल करेंसी Ggool के 10 यूनिट मिलते हैं. इसकी मदद से स्टूडेंट फल, कॉपी-किताबें और खाने-पीने की चीजें खरीदते हैं.
बता दें कि इस टॉयलेट का नाम BeeVi रखा गया है. यह टॉयलेट इकोफ्रेंडली है. इस टॉयलेट में कम पानी की जरूरत होती है. वैक्यूम की मदद से मल को अंडरग्राउंड टैंक और फिर बायोरिएक्टर में ले जाया जाता है. कुछ लोग इस टॉयलेट को सुपर वाटर सेविंग वैक्यूम टॉयलेट भी कह रहे हैं.
जान लें कि मल में मौजूद मेथेन गैस को इलेक्ट्रिसिटी में कंवर्ट किया जाता है, जिससे यूनिवर्सिटी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाता है. गौरतलब है कि ये खबर इस वक्त सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है.
उल्सन यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने कहा कि BeeVi बनने के बाद हमारे मल की कीमत हो गई है. इससे बिजली बनाई जाती है. मुझे टॉयलेट का इस्तेमाल करने के बाद जो पैसे मिलते हैं, उससे मैं कई जरूरी सामान खरीद लेता हूं. ऐसा टॉयलेट बनने के बाद स्टूडेंट बहुत खुश हैं.