बेंगलुरु. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अकाउंट में टेक्नोलॉजी को शुरू किए जाने से एक वक्त पर चार्टर्ड अकाउंटेंट उनसे इतना ज्यादा खफा हो गए थे कि वो उनकी ‘गर्दन काटना’ चाहते थे. द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, बेंगलुरु में एक सभा को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंट बही खातों को रखने में टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने पर ‘उनकी गर्दन उतार लेना’ चाहते थे.
सीतारमण ने कोविड-19 महामारी के दौरान कंपनियों के भुगतान पर रोक, संप्रभु कर्ज गारंटी आदि के दौरान खातों को संतुलित और स्थिर रखने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंटों की कोशिशों पर भी रोशनी डाली.
‘बिजनेस टुडे’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक टेक्नोलॉजी की भूमिका और व्यापार करने में इससे होने वाली आसानी पर रोशनी डालते हुए सीतारमण ने कहा कि ‘जब बोर्ड, सीबीडीटी से पहले से भरे हुए फॉर्म आते हैं, तो आप राहत की सांस लेते हैं. आपका ग्राहक भी कहता है, हे भगवान, हां, मैं क्या यह भूल गया, हां, इसे शामिल करना होगा. या वह कहता है कि नहीं, नहीं, यह मेरा नहीं है, कृपया वापस जाएं और इसकी जांच करें. इसलिए इस पूरे तरीके से सरकार और करदाताओं में बहुत अधिक भरोसा आ रहा है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस तरह के टेक्नोलॉजी से संचालित भरोसा बढ़ाने वाले कदमों से एक पेशेवर के रूप में आपको एहसास होता है कि टेक्नोलॉजी आपके और ग्राहक के लिए अच्छा कर रही है.’ केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि प्रौद्योगिकी-संचालित पद्धति से हिसाब-किताब रखने में दक्षता अब और भी जरूरी होती जा रही है क्योंकि इससे सीए को लाभ मिलता है. आपको कहने में संकोच नहीं होगा कि मैं बही-खाते को संतुलित रख रहा हूं. कोई न कोई खाता देखेगा. इसे हर शख्स के लिए और छोटे बिजनेस के लिए अपना रिटर्न दाखिल करने के लिए तैयार किया जा रहा है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘वास्तव में, मुझे याद है मेरे वित्त मंत्री बनने के पहले वर्ष में मेरे लिए पूरी तरह से नफरत थी. हे भगवान, आपका पेशा मेरी गर्दन काट देना चाहेगा.’ सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि छोटी कंपनियां अपना बहीखाता रखने के लिए आजाद हों क्योंकि उनकी मदद के लिए टेक्नोलॉजी मौजूद है. सरकार को यह संदेश देना था कि हम आपके टैक्स रिटर्न के लिए आप पर भरोसा करते हैं. इसे आपको प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है. चार्टर्ड अकाउंटेंट को आपके खातों को प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है. इसने उनके जीवन को सरल बना दिया.’