इंफाल :
सब-इंस्पेक्टर ओंखोमांग के सिर में गोली लगी थी। उन्हें तत्काल इलाज के लिए चुराचांदपुर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। वहीं फायरिंग में गोली लगने से घायल दो वीडीवी का अस्पताल में इलाज जारी है। पुलिस के मुताबिक, एसआई अपनी ड्यूटी के बाद चिंगफेई गांव में वीडीवी से बात कर रहे थे तभी अज्ञात हमलावरों ने उन पर गोलियां चला दीं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अतिरिक्त पुलिस बल के साथ इलाके में पहुंच गए हैं और हमलावरों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
इससे पहले मंगलवार को हथियारबंद लोगों ने कांगपोकपी जिले में आदिवासी समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी। कांगगुई इलाके में स्थित इरेंग और करम वैफेई गांवों के बीच घात लगाकर हमला किया गया। अधिकारियों ने कहा कि तीनों लोगों ने कांगपोकपी जिले के पोनलेन से अपनी यात्रा शुरू की थी और पहाड़ी सड़क का उपयोग करते हुए लेमाकोंग की ओर बढ़ रहे थे, इसी दौरान उन्हें सिंघदा बांध के पास इरेंग में सशस्त्र हमलावरों ने रोका और गोलियां मारीं। उन्होंने कहा कि हमलावरों ने स्वाचालित हथियारों का इस्तेमाल किया।
अधिकारियों ने बताया कि गोलियों की आवाज सुनकर सेना के जवान आसपास के स्थानों से पहुंचे, तो तीनों के शव खून से लथपथ पड़े देखे। उन्होंने कहा कि बाद में मणिपुर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और जांच शुरू की। कुकी-जो आदिवासियों के संयुक्त संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने घटना की निंदा की और केंद्र से विद्रोही समूहों पर कार्रवाई करने और घाटी में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को फिर से लागू करने का आग्रह किया।
कांगपोकपी के एक सामाजिक संगठन 'कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी' (सीओटीयू) ने हमले की निंदा की। सीओटीयू ने एक बयान में कहा, ‘‘यदि केंद्र सरकार यहां सामान्य स्थिति की बहाली को लेकर की गई अपनी अपील के प्रति गंभीर है तो उसे तुरंत घाटी के सभी जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए और अफस्पा लागू करना चाहिए।’’ इससे पहले आठ सितंबर को मणिपुर में तेंगनोउपल जिले के पल्लेल इलाके में भड़की हिंसा में तीन लोग मारे गए थे और 50 से अधिक घायल हो गए थे। मणिपुर में तीन मई से बहुसंख्यक मेइती और जनजातीय कुकी समुदायों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं और अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
(इनपुट- भाषा/ एआईएनएस) प्रतीकात्मक तस्वीर