नई दिल्ली. यूपीआई पेमेंट हम सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. ऑनलाइन शॉपिंग हो या पड़ोस की ब्रेड-बटर लाना, सभी काम के लिए हम इस पेमेंट मोड का इस्तेमाल करते हैं. भारत को ‘न्यू इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ बनाने का ये सबसे इंपोर्टेंट टूल है. लेकिन आपने कभी गौर नहीं किया होगा कि आपका चाय वाले से लेकर पान की दुकान तक पर सिर्फ 5 रुपये का पेमेंट भी भारत को 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में योगदान कर रहा है.
जी हां, ये सच है कि आपको चाय से लेकर पान की दुकान तक पर यूपीआई से किया जाने वाला पेमेंट देश की इकोनॉमी को बदल रहा है. ‘न्यू इंडिया’ में पेमेंट करने का ये तरीका ना सिर्फ देश की इकोनॉमी को नई रफ्तार और दिशा देने का टूल है, बल्कि भारत की ग्रोथ करती इकोनॉमी का साइज भी बढ़ा रहा है. चलिए समझते हैं कैसे…
नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई, तब देश को एक भरोसेमंद, सस्ते और सुरक्षित डिजिटल पेमेंट सॉल्युशन की दरकार हुई. इस तरह यूपीआई लोगों के बीच पॉपुलर हुआ. लेकिन बात सिर्फ डिजिटल पेमेंट तक ही नहीं रुकी. ‘न्यू इंडिया’ में असल में सबकुछ ‘डिजिटल इंडिया’ होना था. सरकारी सेवाओं और योजनाओं तक आम लोगों की पहुंच सुनिश्चित और आसान करने के लिए ‘सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर’ की जरूरत महसूस हुई और इस तरह जन्म लिया ‘इंडिया स्टैक’ ने…
‘इंडिया स्टैक’ असल में कई सारी सरकारी मोबाइल एप्स का एक कलेक्शन है. इसमें आधार, डिजिलॉकर, को-विन और यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं. इसमें सबसे अहम हिस्सा और मजबूत टूल है यूपीआई पेमेंट सिस्टम. इस एक टूल ने भारतीय लोगों के ना सिर्फ लेनदेन के तरीके को बदल दिया है, बल्कि देश के व्यापारिक ढांचे को भी बदला है.
आंकड़े दिखाते हैं कि साल 2022 में भारत में 74 अरब से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए. ये अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस में कुल मिलाकर हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन से कहीं ज्यादा है. इन डिजिटल ट्रांजेक्शन में 1.6 ट्रिलियन डॉलर के बराबर की राशि का लेनदेन हुआ.
इस बारे में एचएसबीसी ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग एंड वेल्थ में ग्लोबल मार्केटिंग स्ट्रैटेजिस्ट डायरेक्टर नेहा साहनी का अपनी एक रिपोर्ट में कहना है, यूपीआई जैसा टूल दिखाता है कि कैसे तेजी से होता तकनीकी विकास किसी देश को बड़े स्तर पर बदल सकता है और उसकी आर्थिक वृद्धि की ताकत बन सकता है.
इस पूरे सरकारी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा देश में स्टार्टअप की लहर ने भी इकोनॉमी को बढ़ाने में योगदान दिया है. देश में लगभग 1 लाख स्टार्टअप रजिस्टर हुए हैं. इसमें भी 27,000 से अकेले 2022 में रजिस्टर हुए हैं. वहीं 2018 में जिन यूनिकॉर्न की संख्या महज 18 थी वो 2022 में बढ़कर 108 हो चुकी है. इसमें भी 98 प्रतिशत स्टार्टअप डिजिटल सेक्टर से ही हैं.
भारत के ‘न्यू इंडिया’ के ये पिलर्स देश की जीडीपी में अभी लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देते हैं. अगले 10 साल में ये बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगा. इस तरह जब आने वाले समय में भारत की इकोनॉमी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और 7 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छुएगी, तब उसमें इन्हीं यूपीआई पेमेंट, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टार्टअप का योगदान होगा. हालांकि न्यू इंडिया के इन पिलर्स में आईटी सर्विसेस और हैंडसेट इत्यादि का एक्सपोर्ट भी शामिल है.