भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बुधवार को बैंकों और दूसरे संस्थानों के लेवल पर कार्ड टोकनाइजेशन सुविधा 'कार्ड-ऑन-फाइल' (सीओएफ) टोकन सुविधा की शुरुआत की। इस नई सुविधा की मदद से कस्टमर्स अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का टोकन बनाकर उसे अलग-अलग ऑनलाइन पोर्टल (ई-कॉमर्स) या ऐप के अपने अकाउंट से अटैच कर सकेंगे। भाषा की खबर के मुताबिक, आपको बता दें, अभी से पहले सीओएफ टोकन सिर्फ विक्रेता के ऐप या वेबपेज के जरिये ही बनाया जा सकता था।
खबर के मुताबिक,सीओएफ टोकन की मदद से ऑनलाइन पेमेंट करते समय कार्ड का रीयल डिटेल दिए बिना पेमेंट किया जा सकता है। कार्ड टोकनाइजेशन की व्यवस्था लागू होने से डेटा चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी से ग्राहकों की सुरक्षा हो सकेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक सर्कुलर में कहा कि सीओएफ टोकन सीधे कार्ड जारी करने वाले बैंकों/संस्थानों के जरिये बनाया जा सकता है। इससे कार्डधारकों को एक बार में ही कई विक्रेताओं के लिए अपने कार्ड को टोकन करने का अतिरिक्त ऑप्शन मिलेगा।
सीओएफ टोकन में कार्ड के रीयल डिटेल्स जैसे 16 अंकों की संख्या, क्रेडिट या डेबिट कार्ड की एक्सपायरी डेट और सीवीवी नंबर की जगह एक वर्चुअल कोड ले लेगा। कार्डधारकों के लिए कार्ड का टोकनाइजेशन करवाना जरूरी नहीं है, लेकिन यह ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का एक सुरक्षित तरीका है, क्योंकि इसमें कार्ड डिटेल्स शेयर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।
आरबीआई के मुताबिक, वास्तविक कार्ड डेटा, टोकन और दूसरे प्रासंगिक विवरण टोकन सेवा प्रदाता की तरफ से सुरक्षित मोड में स्टोर किए जाते हैं। टोकन रिक्वेस्ट करने वाला पैन, कार्ड नंबर, या कोई दूसरे कार्ड डिटेल स्टोर नहीं कर सकता है। कार्ड नेटवर्क को सुरक्षा और सुरक्षा के लिए टोकन रिक्वेस्ट करने वालो को सर्टिफाई करना भी जरूरी है। ग्राहकों के पास टोकनयुक्त कार्ड लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन और हर दिन लेनदेन सीमा निर्धारित करने और संशोधित करने का विकल्प है।