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नवजोत सिद्धू ने अपना बिजली बिल नहीं भरा 8.74 लाख रुपये बकाया, संकट पर कैप्टन को दे रहे सलाह

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Sat, 03 Jul 2021 01:59 PM
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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर विभिन्न मुद्दों को लेकर लगातार हमलावर विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब में बिजली संकट के मामले में भी शुक्रवार को कैप्टन पर निशाना साधा और बिजली संकट से उबरने की सलाह दी। सिद्धू ने संकट के लिए कैप्टन और पिछली अकाली-भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को जिम्मेदार ठहराया। 

वहीं नवजोत सिद्धू यह भूल गए कि वह खुद राज्य के सबसे बड़े व्यक्तिगत बिजली बकाएदारों में से एक हैं। हालांकि इस विषय पर सिद्धू ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया लेकिन शुक्रवार शाम तक पीएसपीसीएल की वेबसाइट पर सिद्धू के आवास का बिल 8,74,784 रुपये बकाया है। 

पीएसपीसीएल के एक आला अधिकारी ने बताया कि सिद्धू पर मार्च, 2021 में पीएसपीसीएल के 17,62,742 रुपये बकाया थे। उसी समय पीएसपीसीएल ने डिफाल्टरों के खिलाफ अभियान चलाया तो सिद्धू ने 10 लाख रुपये का भुगतान कर दिया लेकिन अभी भी पीएसपीसीएल की 8.74 लाख की राशि बकाया है। 

यह भी पता चला है कि सिद्धू ने अब बकाया बिल के वन टाइम सेटलमेंट के लिए आवेदन किया है। पीएसपीसीएल के अधिकारी ने बताया कि कम बकाया राशि वाले डिफाल्टर कई उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन काटे गए हैं लेकिन राजनीतिक रसूख के कारण सिद्धू ऐसी कार्रवाई से बचे रहे हैं। 

इससे पहले, शुक्रवार को दिनभर सिद्धू ने पंजाब में बिजली संकट के मुद्दे पर एक के बाद एक नौ ट्वीट किए। इनमें एक ट्वीट में सिद्धू ने कैप्टन सरकार द्वारा सरकारी दफ्तरों में बिजली को लेकर जारी निर्देशों पर टिप्पणी करते हुए लिखा- सही दिशा में काम करने से न तो पंजाब में बिजली कटौती की जरूरत पड़ेगी और न ही ऑफिस में टाइमिंग या एसी को मैनेज करने की जरूरत पड़ेगी। 

अपने अगले ट्वीट्स में सिद्धू ने लिखा- पंजाब को औसतन 4.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ती है, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपये है। चंडीगढ़ में 3.44 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली की खरीद होती है। उन्होंने आगे लिखा- पंजाब को बिजली के लिए तीन निजी थर्मल प्लांटों पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है। इस वजह से प्रति यूनिट 5 से 8 रुपये महंगी बिजली खरीदनी पड़ी है, जो अन्य राज्यों से ज्यादा है।

पूर्व बादल सरकार द्वारा निजी कंपनियों के साथ किए समझौतों को जनहित के खिलाफ बताते हुए सिद्धू ने निशाना साधा। उन्होंने लिखा- बादल सरकार ने पंजाब में तीन निजी थर्मल प्लांटों के साथ पीपीए पर हस्ताक्षर किए। इसकी वजह से पंजाब 2020 तक 5400 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है। आगे भी 65 हजार करोड़ रुपये का भुगतान फिक्स चार्ज के तौर पर किया जाएगा, जबकि पंजाब नेशनल ग्रिड से काफी सस्ती दरों में बिजली खरीद सकता है। 

सिद्धू ने लिखा- कानूनी संरक्षण होने के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत नहीं कर सकता है लेकिन पंजाब विधानसभा किसी भी समय नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत के लिए नया कानून ला सकती है। कानून में संशोधन करने से ये समझौते खत्म हो जाएंगे।

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