अजमेरा उवाच
1600 मी रोड मल्हारगंज से श्री कृष्णा पुल तक 36 करोड़ में बनाई गई जिसकी कीमत 2 करोड़ से ज्यादा नहीं थी। 2 साल तक 1600 मीटर सड़क पूरे 20 21 के कोरोना काल में बनती रही और उस मार्ग के सारे व्यापारी व्यापार बर्बाद होने और मकान टूटने के कारण परेशान होते रहे। जिसका सीधा फायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की शॉपिंग मॉल को मिला।
स्मार्ट सिटी का उद्देश्य यही है, की पुराने बाजारों को तोड़फोड़ कर नष्ट कर दो। ताकि उसका सीधा फायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शॉपिंग मॉल को मिले। जिनसे इन्होंने हजारों करोड रुपए का चंदा खाया है।
जानबूझकर लोगों के मकान हर मार्ग पर तोड़े गए। 2 करोड़ का हाथीपाला पुल रू55 करोड़ में बनाया गया। डेढ़ करोड़ का पाटनी पूरा वाला पुल 6 करोड़ में बनाया गया।
सबसे महत्वपूर्ण बात ही हैकी जो डफर भारतीय प्रकरण सेवा अधिकारी इस नगर निगम के आयुक्त होते हैं वही डफर जिनको सिविल इंजीनियरिंग, शहरीकरण की एबीसीडी नहीं आती और कमीशन खोरी के अलावा उनने सीखा भी नहीं होता। वे इन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी होते हैं।