दिल्ली. दिल्ली एनसीआर से सटे राजनगर एक्सटेंशन के पीवीआर में स्वामी दीपांकर ने द केरला स्टोरी फिल्म को देखा. फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि द केरला स्टोरी इस समय सुर्खियों में है. लगातार विपक्ष भी केरला स्टोरी पर सवाल उठा रहा है. धर्म गुरु स्वामी दीपांकर ने केरला स्टोरी फिल्म देखने के बाद कहा कि यह व्यथा शालिनी उन्नीकृष्णन जैसी बेटियों की है. उन बेटियों की ना बोल पाई है और ना कुछ कह पाई ना खुद को बचा पाई. स्वामी दीपांकर ने अपील की हर किसी को द केरला स्टोरी देखनी चाहिए.
दरअसल, ये स्टोरी तीन जिहादी लडकियों की स्टोरी है. फिल्म एक ऐसा सवाल है जिसमें 3 जिहादी लड़कियों कहानी को दिखाया गया है. इन तीन जिहादी लड़कियों में एक लड़की की भूमिका नीमाह है. वह एक ईसाई परिवार की लड़की है. जो इस्लाम कबूल कर लेती है और उसका धर्म परिवर्तन कराया जाता है. लेकिन फिल्म के अंत में पुलिस प्रमुख के पास जाना और उनसे कहना कि वह अपने धर्म में वापसी करना चाहती है.
वहीं, द केरल स्टोरी फिल्म केरल में पले बढ़े लोगों की कहानी है. या फिर यूं कहें कि इस राज्य में लंबे समय तक रहने वाले लोगों को वहां की सच्चाई से रूबरू कराने का एक माध्यम इस फिल्म को बनाया गया है. राज्य में नीमाह का अर्थ है मेलोड्रामा से भरपूर है. लेकिन साथ ही इसमें सफेद झूठ भी यह पूरी फिल्म इन 2 तथ्यों के इर्द-गिर्द झूलती नजर आती है.