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जातिगत जनगणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती : 20 जनवरी 2023 को होगी सुनवाई

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Wed, 11 Jan 2023 08:58 PM
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नई दिल्ली : 

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति जताई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

बिहार में जातिगत जनगणना कराई जा रही है जिसको लेकर खूब राजनीति भी हो रही है। बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। खबर के मुताबिक इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी 2023 को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति जताई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इससे पहले भी बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। इस संबंध में यह दूसरी याचिका है। 

जातीय जनगणना के बाद विकास कार्यों में मदद मिलेगी : नीतीश कुमार 

अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के जरिये दायर जनहित याचिका में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने और अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार ने छह जून, 2022 को जारी बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी बयान सामने आ गया है। नीतीश कुमार ने कहा है कि जातीय जनगणना के बाद विकास कार्यों में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि पूरे देश में जातीय आधारित जनगणना हो मगर केंद्र नहीं माना और कहा कि राज्य अपना कर सकते हैं। हम जनगणना नहीं जातीय आधारित गणना कर रहे हैं। 

जाति आधारित गणना की कवायद को ऐतिहासिक कदम : तेजस्वी यादव

नीतीश ने साफ तौर पर कहा कि हम हमारे लोग और उनकी आर्थिक स्थिति आदि की जानकारी लेने के लिए सर्वे कर रहे हैं, इससे विकास में सुविधा होगी। इससे पहले नीतीश कुमार ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना से सभी को लाभ होगा। जनगणना के दौरान केवल जातियों की ही गनना नहीं होगी, बल्कि हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। इससे देश के विकास और समाज के उत्थान में फायदा होगा। उन्होंने साफ कहा कि हमने बिहार में लोगों के लाभ के लिए राज्य में जाति आधारित जनगणना शुरू करने का फैसला किया है। वहीं, राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सभी जिलों में शुरू हुई जाति आधारित गणना की कवायद को ऐतिहासिक कदम करार दिया था।

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