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समर्थ सदगुरु के अन्न आहार त्याग का 77 वां दिन : मां नर्मदा को बचाने आदिवासी समाज हुआ एकजुट

अन्य ख़बरे Published by: Sunil Paliwal-Anil Bagora Updated Sat, 02 Jan 2021 11:11 AM
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समर्थ सदगुरु के अन्न आहार त्याग का 77 वां दिन : मां नर्मदा को बचाने आदिवासी समाज हुआ एकजुट

छिन्दवाड़ा । पातालकोट के प्राचीन तीर्थ अंबामाई में अपने प्रिय दादा गुरु के दर्शन के लिए पहुंचे हज़ारों भक्तो की गूंज गांव-गांव तक गूंज रही है। सभी की की एक ही पुकार है कि माँ नर्मदा एवं बेसहारा गौ वंश को बचाने की आवाज़ ‌समर्थ सदगुरु के अन्न आहार त्यागकर प्रारंभ किये सत्याग्रह के 77 वें दिन विश्व की अमूल्य धरोहर एवं माँ नर्मदा के प्राण क्षेत्र पातालकोट के प्राचीन सिद्ध तीर्थ क्षेत्र मॉं दूधि के उद्गम स्थल, अंबामाई  में आज नव वर्ष के प्रथम दिवस पर सत्याग्रह के समर्थन में रामसत्ता अखण्ड राम धुन संकीर्तन का आयोजन किया। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे। जिस तरह माँ नर्मदा को विराटता प्रदान करने में पातालकोट अपनी भूमिका निभा रहा है, उसी प्रकार माँ नर्मदा की रक्षा के लिए अदिवासियों ने भी अपने प्रिय दादा गुरु समर्थ सदगुरु भैया जी सरकार के पावन सानिध्य में अपने कर्तव्यों को निभाने का महासंकल्प लिया।

● आधुनिकीकरण से कोसों दूर पातालकोट घाटी के आदिवासी 

पातालकोट, मध्य प्रदेश के जिले के तामिया तहसील में स्थित एक घाटी है।दक्षिण मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा शहर से लगभग ७५ किलोमीटर दूरी पर स्थित यह विशालकाय घाटी काधरातल लगभग 3000 फीट नीचे है। इस विहंगम घाटी में गोंड और भारिया जनजाति के आदिवासी रहते हैं। इन आदिवासियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएँभी उपलब्ध नहीं हैं, किंतु ये आदिवासी आमजनों से अधिक स्वस्थ हैं। ये आदिवासी घने जंगलों, ऊँची-नीची घाटियों पर ऐसे चलते हैं, मानो किसी सड़क पर पैदल चला जा रहा हों। आधुनिकीकरण से कोसों दूर पातालकोट घाटी के आदिवासी आज भी अपने जीवन-यापन की परम्परागत शैली अपनाए हुए हैं। रोजमर्रा के खान-पान से लेकर विभिन्न रोगों के निदान के लिए ये आदिवासी वन संपदा पर ही निर्भर करते हैं। 

● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️

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