महाराष्ट्र. राज्य में शालेय शिक्षण में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के प्रस्ताव के विरोध में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने एक बार फिर खुलकर मोर्चा खोल दिया है। शिवसेना भवन परिसर में मनसे द्वारा लगाए गए एक बैनर ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
इस बैनर पर बड़े अक्षरों में लिखा है कि हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं। इस तीव्र संदेश के साथ मनसे प्रमुख राज ठाकरे की तस्वीर भी प्रमुखता से दिखाई दे रही है। शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र में यह बैनर लगाना एक प्रकार का प्रत्यक्ष राजकीय संदेश माना जा रहा है।
हिंदी थोपने का विरोध, मराठी अस्मिता का सवाल हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी विषय को अनिवार्य करने का विचार सामने आया था, जिसका विरोध अब तेज होता जा रहा है। मराठी अस्मिता और मातृभाषा की अस्मिता की लड़ाई में मनसे सबसे आगे दिख रही है। मनसे के नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है और स्कूलों में अगर कोई भाषा अनिवार्य हो सकती है, तो वह केवल मराठी होनी चाहिए। हिंदी थोपना एक तरह से हमारी संस्कृति और अस्मिता पर आक्रमण है।
इस बैनर के जरिए मनसे ने सरकार को स्पष्ट इशारा दिया है कि अगर हिंदी को जबरन थोपा गया तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि यह केवल बैनर नहीं, यह एक चेतावनी है। महाराष्ट्र में जबरदस्ती नहीं चलेगी। इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग राजकीय पक्षों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं।
शिवसेना की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके मुख्यालय के पास ऐसा बैनर लगना निश्चित ही एक असहज स्थिति निर्माण करता है। वहीं, भाजपा के कुछ नेताओं ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बताते हुए इसका समर्थन किया है।