मंगलवार को प्रदीप मिश्रा ने व्यास गद्दी से कहा कि संत, साधु, गुरु, ब्राह्मण, तपस्वी, साधक हो या उपासक, इनकी परीक्षा बहुत होती है। परीक्षा में घबराना नहीं चाहिए। जो सनातन धर्म की ओर आगे बढ़ेगा, जो सनातन धर्म की ध्वजा लेकर आगे बढ़ेगा उसकी परीक्षा हर जगह होगी। प्रत्येक जगह उसे परीक्षा देना पड़ेगा। वर्तमान में रामकथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जो सनातन धर्म की ध्वजा लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो उन पर भी सवाल उठ गए। सनातन की ओर बढ़ने वालों के बीच मे रोड़े आते रहते हैं। लेकिन मैं धीरेंद्र शास्त्री से इतना ही कहना चाहूंगा कि सनातनी कभी अकेला नहीं होता। उसके साथ राम, कृष्ण और शिव भी होते हैं।
पंडित मिश्रा ने आगे कहा- धीरेंद्र शास्त्री को यह पता होना चाहिए कि वे अकेले नहीं है। भोलेनाथ, कुबेर भंडारी, राम, कृष्ण भी आपके साथ हैं। इसके अलावा सनातन धर्म का एक-एक बच्चा भी आपके साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा है। आप सनातन धर्म की ध्वजा लेकर आगे बढ़िए। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा- कि जो भी सनातन को आगे बढ़ाए उसके साथ आपके कदम चलने चाहिए। विघ्न तो मीराबाई के जीवन में भी आया, संत तुकाराम जी के जीवन में भी आया, नामदेव जी के जीवन में भी आया, कर्माबाई के जीवन में भी आया, चैत्नय महाप्रभु के जीवन में भी आया और वल्लभाचार्य जी के जीवन भी आया। ऐसा कौन स संत, साधु, तपस्वी है, जिसके जीवन में विघ्न नहीं आता। कष्ट आएगा ही।