सुवासरा। सुवासरा तहसील के ग्राम. हंस पूरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन मनुष्य के जीवन में एक पिता के लिए वह बहुत अनमोल समय होता है। जब एक पिता अपनी कन्या का कन्यादान करता है। शास्त्रों में वर्णित है। अश्वमेघ यज्ञ से बढ़कर कन्या के दान का फल बतलाया है। जीवन में हमेशा कन्यादान करें पर गलती से भी कन्या के दान का उपभोग नहीं करना चाहिए। राजा भिष्मक ने अपनी पुत्री रुक्मणी का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के साथ में किया। रुक्मणी ने बचपन से ही भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का दर्शन किया ,भगवान की इतनी ख्याति देख रुक्मणी को भगवान श्री कृष्ण से प्रेम हो गया। रुक्मणी का विवाह शिशुपाल के साथ में तय किया गया, परंतु रुकमणी यह नहीं चाहती थी, इसीलिए एक ब्राह्मण से निवेदन कर अपने मन की बात एक प्रेम पत्र में लिखकर भगवान तक अपनी सूचना पहुंचाई। भगवान पधारे और रुक्मणी का विवाह संपन्न हुआ। कलयुग में देखने को आता है कि आजकल कई पिता व भाई अपनी बेटी व अपनी बहन के द्वारा कमाए हुए धन का उपभोग कर केवल और केवल अपने शरीर को बढ़ा रहे हैं। कन्या सम्मान की पात्र है, परंतु ऐसे माता-पिता जो अपनी कन्या के द्वारा कमाए हुए धन का पोषण करते हैं या ऐसा कहा जाए कि अपनी बेटी को दूध देने वाली गाय बना रखी है, ऐसे माता-पिता का न जाने किस प्रकार से बेड़ा पार होगा। सुवासरा तहसील के ग्राम हंस पूरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथा के मुख्य जजमान श्री सरदार सिंह चौहान द्वारा रुक्मणी विवाह में कन्यादान किया गया। कथा का विश्राम आज दिनांक 6 दिसंबर 2019 को विशाल भंडारा के साथ होगा। उक्त उद्गार शामगढ़ नगर के पंडित श्री विक्रम जी पुरोहित श्री सुदामा जी द्वारा कहे गए कथा में रुक्मणी और कृष्ण की सजीव झांकी का भी दर्शन किया गया।
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● पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil paliwal-Anil bagora...✍️
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