इंदौर। (आयुष पालीवाल...) बजट में कर बढ़ोतरी के मामले में पूर्व महापौर व विधायक मालिनी लक्ष्मणसिं जी गौड़ ने हाल ही में विरोध किया है। अब वह मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री से चर्चा करेगी। पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने भी निगम के आगामी बजट में बढ़ाये जा रहे करो का विरोध करते हुए कहा है कि हमारे कार्यकाल में हमने करो में कोई बढ़ोतरी ना करते हुए राजस्व बढाने के कार्य किये थे, लेकिन अब अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करते हुए व किसी से चर्चा किये बिना ये कर बढ़ोतरी की जा रही है जो न्यायसंगत नही है। जनता पहले ही कोरोना काल से झूझ रही है ऐसे में कर बढ़ोतरी ठीक नही है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह जी चर्चा करेगी। निगम द्वारा बढ़ाये जा रहे विभिन्न करो का विरोध करते हुए पूर्व महापौर व विधायक मालिनी गौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा वही पूर्व विधायक श्री गोपीकृष्ण नेमा ने भी तीखा विरोध करते हुए अफसरशाही पर गुस्सा दिखाते हुए मुख्यमंत्री को मेल किया... तो जीतू जिराती ने भी अफसरशाही पर सवाल उठाएं...जब सत्ता पक्ष ही निगम के आगामी बजट में बढ़ाये जा रहे करो का जमकर विरोध जताया जा रहा है, तो कांग्रेस की ओर से भावी महापौर एवं विधायक श्री संजय शुक्ला सोशल मीडिया पर खुब चर्चा में आए...दिन-भर निगम के द्वारा बढाये गए टैक्स पर खुब जंग हंसाई हुई, कोरोना काल में लोग बीमारी से नही मर रहे है, बल्कि जबारिया टैक्स से जनता मार जाएगी...सरकार निगम के अफसरों पर अंकुश लगाते हुए लालफीताशाही की तरहा लादे गए टैक्स को पुन : यथास्थिति में ही रखे जाने की मांग चौतरफा उठने लगी हैं, जनप्रतिनिधियों का कहना है कि हमें पता ही नहीं चला और निगम अफसरों ने इतना बड़ा खेल कर दिया...यह भी संभव नही लगता क्योंकि प्रदेश में सरकार आपकी हैं, वहां बैठे अफसर भी आपके हैं, हर सप्ताह मुख्यमंत्री इंदौर आते हैं, फिर भी पता नहीं चला इसका मतलब साफ है कि अविवेक पूर्ण निर्णय लेने वाले अधिकारीयों पर आपका अंकुश नहीं तो ऐसे में जनप्रतिनिधि का इंदौर शहर में क्या काम...जहां टैक्स कम होना थे वहां टैक्स मानमाने तरीके से इतने बड़ा दिए की इंदौर की जनता टैक्स के बोझ से मर ही जाएगी...निगम में सालों से प्रतिनियुक्ती पर आए अफसरों को शाह देने वाले श्रीमान आप ही है, वरना एक साल पर आने वाले अधिकारी 3 साल से लेकर 10 साल तक कैसे कुर्सी पर चिपक जाते हैं, जनता भोली नहीं है, सब समझती हैं, आपका खेल...तभी तो जनता के साथ खेल खेला और आप चारों खाने चित नजर आए तो उसका एकमात्र कारण है कि मीडिया के साथ...साथ जनता ने भी सोशल मीडिया पर जमकर लु उतारी सरकार ओर निगम में विराजमान अधिकारीयों तब जाके श्रीमान जनप्रतिनिधी जागे...वरना किसे मतलब चुनाव में नौटंकी कर जनता के बीज हीरो बनने की किसे फुरस्त...। निगम में अफसरशाही हावी-महापौर, जनप्रतिनिधि का क्या काम...अब विरोध क्यों...सरकार आपकी फिर नौटंकी किस बात की...आप महापौर है, विधायक है, पूर्व पार्षदों की टीम हैं...निगमायुक्त के साथ दिन-भर कार्यक्रमों में घुमना उसके बाद मासुम बनना मां अहिल्या की नगरी में अच्छा नहीं लगता...। एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि मस्टरकर्मीयों की सैलरी लेट होना, फिर उनका वेतन में बढ़ौत्री ना होना, विनियमित कर्मचारीयों को आदेश के उपरांत भी स्थाईकर्मी का दर्जा नहीं मिलना और ना ही स्थाईकर्मी को नियमित कर्मचारी की तरहा वेतन के लाभ मिलना, मंहगाई भत्ता के लिए अधिकारी से बार-बार निवेदन करने वाले युनियन कर्मचारी की बात नहीं सुनना, कम वेतन में ज्यादा से ज्यादा काम का बोझ डालना, छुट्ी का निगम में कोई मतलब नहीं रहा गया...अधिकारियों की इच्छानुसार काम करना सभी विनियमितिकरण और मस्टरकर्मचारीयों के साथ ही इतना प्रेशर डालना, वही दुसरी ओर सालों से काम करने वाले स्थाई कर्मचारीयो ंमौज मस्ती करते हैं, लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं देते हुए कम तख्हा पर काम करने वालों को अहम ओहदे पर काम सौंपा जा रहा है, जिसके वो जानकार नहीं हैं। काम भी काम के तरीके से कराया जाए तो काम करने का आनंद आता हैं। अफसर सब समझते हैं, लेकिन उनकी भी तमाम मजबूरियां है जो मस्टरकर्मी और विनियमितिकरण कर्मचारियों के बल ही निगम का कामकाज नंबर वन चल पा रहा हैं। जिसका श्रेय इन्हें मिलना चाहिए...लेकिन मिलता नहीं।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Ayush Paliwal...✍️