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नर्सिंग स्टूडेंट्स को MP हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, 56 कॉलेजों के छात्रों को एग्जाम में बैठने का आदेश

इंदौर Published by: paliwalwani Updated Tue, 14 May 2024 02:41 PM
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इंदौर. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) हाई कोर्ट (High Court) के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने नर्सिंग स्टूडेंट्स (Nursing Students) को बड़ी राहत दी है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य के जिन 56 नर्सिंग कॉलेजों (56 Colleges) की सीबीआई (CBI) जांच पर रोक लगाई है, उनके छात्रों को परीक्षा में शामिल (students appearing in examination) करें.

मध्य प्रदेश फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद कल 15 मई 2024 से बीएससी नर्सिंग छात्रों के पेपर होंगे. परीक्षा में 30 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी शामिल होंगे. बता दें कि नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के बाद पिछले तीन सालों से एग्जाम पर रोक लगी हुई थी. जिसके चलते स्टूडेंट्स परीक्षा नहीं दे पा रहे थे.

मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को निर्धारित की गई है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं. बता दें, लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, जबलपुर की ओर से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में संचालित नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी थी.

बता दें, कि कोर्ट ने सीबीआई को राज्य के सभी नर्सिंग कॉलेजों के संचालन की जांच करने और हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। हालांकि, 56 कॉलेजों ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जांच पर रोक लगवा ली। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई द्वारा अनुपयुक्त घोषित किए गए 65 नर्सिंग कॉलेजों को बंद किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया कि इन कॉलेजों के छात्रों को किसी अन्य कॉलेज में दाखिला नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को यह पता कर लेना चाहिए कि जिस कॉलेज में वे आवेदन कर रहे हैं, क्या वह संचालन के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करता है।

एक जुलाई को सीबीआई रिपोर्ट

न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी और न्यायमूर्ति ए के पालीवाल की पीठ ने सीबीआई को डिप्लोमा नर्सिंग कॉलेजों पर अपनी रिपोर्ट एक जुलाई तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। विधि छात्र संघ द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने 169 नर्सिंग कॉलेजों को किसी भी गलत काम से मुक्त कर दिया है। 74 कॉलेजों में ऐसी समस्याओं की पहचान की जिन्हें ठीक किया जा सकता है और 65 नर्सिंग कॉलेजों को संचालन के लिए उपयुक्त नहीं माना है।

तीन सदस्यों वाली एक समिति कर रही जांच

न्यायालय ने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली एक समिति गठित की। समिति के अन्य दो सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस आर एस जुलानिया और इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रकाश मणि त्रिपाठी हैं। समिति को यह पता करने का काम सौंपा गया था कि क्या सीबीआई द्वारा चिन्हित 74 नर्सिंग कॉलेजों में कमियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर सुधारा जा सकता है। इन कॉलेजों से छात्रों को अस्थायी रूप से अन्य संस्थानों में स्थानांतरित करने की संभावना का निर्धारण किया जा सकता है।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी । सीबीआई द्वारा प्रैक्टिस के लिए अयोग्य घोषित किए गए छात्रों को भी परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि यह उनका अंतिम अवसर होगा और यदि वे परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुए तो उन्हें दूसरा अवसर नहीं मिलेगा।

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