इंदौर :
जानकारी के लिए बता दें कि हुकमचंद मिल की जमीन लेकर हाऊसिंग बोर्ड श्रमिकों को बगैर ब्याज के 173 करोड़ का मुआवजा देने के लिए तैयार है। इसके लिए अफसरों ने लिखित आफर भी दिया, लेकिन मजदूर ब्याज सहित अड़े है। उनका कहना है कि जब बकायदार बैंकों को ब्याज सहित पैसा दिया जा रहा है तो फिर सिर्फ मूल क्यों दिया जा रहा है।
हर सप्ताह होने वाली मिल परिसर की बैठक में श्रमिकों ने कहा कि पहले हम 173 करोड़ रुपये बांट तो, फिर बाद में मुआवजा देते रहना, हालांकि अभी श्रमिकों ने लिखित में कोई जवाब नहीं दिया। श्रमिक नेता नरेंद्र श्रीवंश का कहना है कि कहम हाऊसिंग बोर्ड के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं रहे है, लेकिन जब बैंकों को ब्याज सहित पैसा दिया जा रहा है तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
बता दें कि 32 सालों से बंद बड़ी हुकमचंद मिल की बेशकीमती जमीन के लिए हाऊसिंग बोर्ड 173 करोड रुपये देने के लिए तैयार है। इसे लेकर एक बैठक भी हो चुकी है और हाऊसिंग बोर्ड के अफसर मिल की जमीन देखकर आ चुके है। मंडल के अफसरों ने श्रमिकों से कहा कि यदि वे बोर्ड के प्रस्ताव पर सहमति दें तो फिर अगली सुनवाई पर बोर्ड कोर्ट में अपना जवाब पेश कर सकता है।
अब हाउसिंग बोर्ड मिल की जमीन पर हाऊसिंग प्रोजेक्ट लाना चाहता है। बोर्ड एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को सौंपेगा। मजूदरों, बैंकों और अन्य देनदारियां देने के बाद भी प्रोजेक्ट से जो मुनाफा होगा, उसे निगम और बोर्ड आपस में बांटेगा। नगर निगम की तरफ से पहले 50 करोड़ रुपये मजदूरों को दिए जा चुके है। हाऊसिंग बोर्ड के अफसरों का कहना है कि हमने श्रमिकों को आफर दिया है, यदि वे तैयार होते है तो फिर आगे बात बढ़ेगी। अब मिल के मामले में 9 मई 2023 को सुनवाई होगी।