इंदौर. श्री पालीवाल ब्राह्मण समाज 24 श्रेणी इंदौर के अध्यक्ष श्री राकेश जोशी एवं सचिव श्री ललित पुरोहित ने पालीवाल वाणी को बताया कि प्रबंध कार्यकारिणी इंदौर’ के तत्वावधान में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष आज दिनांक 18 सितंबर 2024 बुधवार को सामुहिक पितृ पक्ष की तिथी पूर्णिमा पर विद्वान पंडितों के सानिध्य मे सामूहिक श्राद्ध पूजन’ का आयोजन श्री पालीवाल ब्राह्मण 24 श्रेणी समाज भवन माँ अन्नपूर्णा मंदिर धर्मशाला, 152, इमली बाजार इंदौर आयोजित किया जा रहा है. समाजजनों से सादर अनुरोध है कि सामाजिक कार्य में अपनी सेवाएं प्रदान करें. उक्त जानकारी कार्यकारिणी सदस्य श्री वासुदेव पुरोहित ने पालीवाल वाणी को दी.
पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या (Ashwin Amavasya 2024) के दिन समाप्त होती है. लेकिन सामान्यत: पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से यानी आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से मानी जाती है. ऐसे में बुधवार 18 सितंबर 2024 से पितृपक्ष की शुरुआत होगी और इसी दिन पितरों के निमित्त पहला श्राद्ध किया जाएगा.
पितृपक्ष की शुरुआत के दिन ही पहला श्राद्ध होता है. ऐसे में आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि या 18 सितंबर 2024 से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और इसी दिन पितृपक्ष का पहला श्राद्ध किया जाएगा. इसे प्रतिपदा श्राद्ध को पड़वा श्राद्ध के भी नाम से जाना जाता है.
प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और 19 सितंबर सुबह 04:19 पर समाप्त होगी. वहीं प्रतिपदा श्राद्ध के लिए इस दिन सुबह 11:30 से दोपहर 03:30 तक का समय रहेगा. यानी अपराह्न काल की समाप्ति से पहले आप प्रतिपदा श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान को पूरा कर लें.
“मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत”
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि श्राद्ध कर्म कभी भी सूर्योदय से पूर्व और सूर्योदय के बाद नहीं करना चाहिए. हमेशा चढ़ते सूर्य के समय ही श्राद्ध या पिंडदान करना चाहिए. इसलिए सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 03:30 तक के समय को श्राद्ध और पिंडदान के लिए अच्छा माना जाता है. इसके साथ ही श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान जैसे अनुष्ठान कुतुप, रौहिण जैसे मुहूर्त में ही संपन्न करने चाहिए.
पितृपक्ष की कुल 15 तिथियां होती हैं और अलग-अलग तिथियों में किए श्राद्ध का अपना महत्व होता है. पितृपक्ष की पहली तिथि को किए गए श्राद्ध को प्रतिपदा श्राद्ध कहा जाता है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु किसी भी माह की प्रतिपदा तिथि को हुई हो. वहीं मातृपक्ष यानी ननिहाल की ओर से श्राद्ध करने के लिए कोई व्यक्ति न हो तो आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि पर नाना-नानी का श्राद्ध किया जा सकता है. फिर चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि में हुई हो.
पितृपक्ष-श्राद्ध की तिथियां (Shradh Ki Tithiyan) |
प्रतिपदा श्राद्ध (Shradh Day 1) | बुधवार, 18 सितंबर 2024 |
द्वितीया श्राद्ध (Shradh Day 2) | गुरुवार, 19 सितंबर 2024 |
तृतीया श्राद्ध (Shradh Day 3) | शुक्रवार, 20 सितंबर 2024 |
चतुर्थी श्राद्ध (Shradh Day 4) | शनिवार, 21 सितंबर 2024 |
पंचमी श्राद्ध (Shradh Day 5) | रविवार, 22 सितंबर 2024 |
षष्ठी श्राद्ध (Shradh Day 6) | सोमवार, 23 सितंबर 2024 |
सप्तमी श्राद्ध (Shradh Day 7) | मंगलवार, 24 सितंबर 2024 |
अष्टमी श्राद्ध (Shradh Day 8) | बुधवार, 25 सितंबर 2024 |
नवमी श्राद्ध (Shradh Day 9) | गुरुवार, 26 सितंबर 2024 |
दशमी श्राद्ध (Shradh Day 10) | शुक्रवार, 27 सितंबर 2024 |
एकादशी श्राद्ध (Shradh Day 11) | शनिवार, 28 सितंबर 2024 |
द्वादशी श्राद्ध (Shradh Day 12) | रविवार, 29 सितंबर 2024 |
त्रयोदशी श्राद्ध (Shradh Day 13) | सोमवार, 30 सितंबर 2024 |
चतुर्दशी श्राद्ध (Shradh Day 14) | मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024 |
अमावस्या/पूर्णिमा का श्राद्ध (Shradh Day 15) |
बुधवार, 2 अक्टूबर 2024 |