इंदौर : (विपिन नीमा...✍️) शहर के इतिहास को अपनी स्मृति में संजोये करीब दो सौ सालों से एक इतिहास पुरुष की तरह खड़ा इंदौर का राजवाड़ा विगत तीन साल से झेल रहा लगभग 30 टन लोहे के बोझ से पूरी तरह मुक्त हो गया है। लोहे के जंजाल से आजाद होने के बाद इमारत की फ्रंट साइड पर रंगरोगन होने से राजवाड़ा की पुरानी चमक फिर से लौट आई है। इस ऐतिहासिक इमारत की दीवार ओर खिड़कियों पर उसी कलर की रंगाई - पुताई की गई है जो दो सौ साल पहले की गई थी। अब आप इमारत पर नजर डालेंगे तो राजवाड़ा बिलकुल नया - नया दिखेगा।
लोहे का स्ट्रक्चर हटाने ओर फिर कलर होने के बाद राजवाड़ा की इमारत का पुराने स्वरूप साफ नजर आने लगा है। हालांकि राजवाड़ा की पहली मंजिल तक लोहे का स्ट्रक्चर बना हुआ है , क्योकि यहां की दीवार पत्थरो से बनी है। पत्थरो पर पॉलिश की जान है । इसलिए अभी नीचे वाले हिस्से से स्ट्रक्चर नही हटाया गया है। दिवाली के बाद ये काम पूरा हो जाएगा।
राजबाड़ा से स्ट्रक्चर निकलने ओर रंगाई पुताई होने बाद लोंगो ने राजबाड़ा को काफी समय के बाद खुला खुला देखा। स्ट्रक्चर हटने से दीपावली के छोटे छोटे आइटम बेचने वालों को भी ज्यादा परेशानी नही हुई। लोंगो को खरीदारी में भी नही हुई। दीपावली पर्व पर राजबाड़ा पर ऐतिहासिक भीड़ ने भी राजबाड़ा को खूब निहारा।
शहर के बीचोबीच स्थित ऐतिहासिक राजवाड़ा के फ्रंट साइड की चार मंजिलों पर जीर्णोद्धार का कार्य बड़ी सावधानी के साथ ओर सुरक्षित तरीके से किया गया है। जीर्णोद्धार के लिए निर्माण कंपनी ने राजवाड़ा के मुख्य दरवाजे से लेकर ऊपर सातवीं मंजिल तक लोहे के पाइप का मजबूत स्ट्रक्चर ( लोहे का मचान) तैयार किया गया था। स्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने के लिए 30 टन लोहे के पाइप का उपयोग किया था। तीन साल तक कारीगरों ने स्ट्रक्चर पर खड़े होकर काम को अंजाम दिया।
शहर की शान .राजवाड़ा का इतिहास आज भी इतिहास के पन्नो पर दर्ज है। लोहे के जंजाल से मुक्त होने के बाद इमारत की दीवार खिड़कियों पर रंग रोगन का काम शुरू हो चुका है। इमारत की दीवार पर लाइट येलो कलर से रोगन किया जा रहा है जबकि खिड़कियों पर डॉर्क ब्राउन कलर किया जा रहा है। नए रंगरोगन से राजवाड़ा वापस से अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगे है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजबाड़ा का जीर्णोद्वार का लगभग पूरा हो चुका है। बिल्डिंग पर लगा स्ट्रक्चर भी निकाल लिया गया है। अब राजबाडा की पूरी इमारत एकदम नई नई झलक रही है।
ठेकेदार का कहना है कि : इतने बड़े स्ट्रक्चर को खड़ा करने में काफी मशक्कत करना पड़ती थी । लकड़ी के मचान की तुलना में लोहे के मचान ज्यादा व्यवस्थित ओर सुरक्षित रहते है। राजबाड़ा की फ्रंट साइड के हिस्से की बिल्डिंग को लोहे के स्ट्रक्चर से कवर करके रखा गया था , ताकि कोई दुर्घटना नही हो सके। स्ट्रक्चर को निकालने में भी सवा महीने का समय लगा। 2017 से राजबाड़ा के जीर्णोद्वार का कार्य चल रहा था।