इंदौर. नगरीय विकास और आवास विभाग ने इंदौर से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों और प्रोजेक्टों को लेकर बैठक ली थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब इस बैठक से संबंधित कार्रवाई विवरण जारी किया गया है, जिसमें कम्पाउंडिंग शुल्क की राशि को बढ़ानेके साथ ही हाउसिंग बोर्ड की तर्ज पर नगर निगम इंदौर और स्मार्ट सिटी कम्पनी को भी रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्टों को अमल में लाने की अनुमति दी जाएगी और इसके लिए कलेक्टर अनुशंसा करेंगे।
इसी तरह अब 185 वर्गमीटर तक के मकानों की भवन अनुज्ञा 24 घंटे में मिलेगी, तो प्राधिकरण से जुड़े मामलों में कन्वेंशन सेंटर के लिए उपांतरण किस तरह किया जा सकता है उसका परीक्षण और बायपास पर सर्विस रोड निर्माण के लिए धारा 23 (क) में उपांतरण की प्रक्रिया भी की जाएगी। इसके अलावा निगम ने भी विभिन्नमदों में लम्बित राशि की मांग शासन से की है, ताकि वित्तीय संकटहल हो सके, जिसमें स्टाम्प ड्यूटी की गणना में 189 करोड़ कम मिलना और 58 करोड़ रुपए14वें वित्त आयोग के तहत पर फॉर्मेंस गारंटी के भी निगम को दिए जाना है।
आचार संहिता लगने से पहले भोपाल में भी हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय मौजूद रहे और उसमें भी इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान से लेकर बायपास, आउटर रिंग रोड सहित तमाम प्रोजेक्टों पर चर्चा हुई। वहीं अभी 3 अप्रैल को प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई की मौजूदगी में इंदौर में ही जो बैठक हुई उसमें निगम, प्राधिकरण से लेकर अन्य प्रोजेक्टोंपर चर्चा की गई।
इसमें इंदौर बायपास पर सर्विस रोड को फोरलेन करने का प्रस्ताव भी शामिल है। वहीं निगम ने राज्य शासन के जरिए नेशनल हाईवे को भी लगभग 500 करोड़ का एक प्रोजेक्ट सौंप रखा है। अभी 45 मीटर कंट्रोल एरिया बायपास पर निर्धारित है, जिसे घटाकर साढ़े 22 मीटर करने और शेष पर मिश्रित भू-उपयोग के तहत अनुमतियां देने पर भी विचार किया जा रहा है। वहीं अब धारा 23 (क) के तहत उपांतरण करने की प्रक्रियाभी नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा की जाएगी।
वहीं निगमायुक्त को कहा गया है कि वे आवश्यक जमीन के अर्जन के लिए टीडीआर अधिसूचनाएं भी जारी करें। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों टीडीआर पॉलिसी को भी अमल में लाने के लिए रीसिविंग झोन की प्रक्रिया की गई, जिसमें सम्पूर्ण निगम क्षेत्र को रीसिविंग झोन माना गया है, लेकिन टीडीआर को अमल में लाने के साथ भूमि विकास नियम में आवश्यक संशोधन भी करना है, जिसमें ग्राउंड कवरेज, ऊंचाई, पार्किंग प्रावधान से लेकर अन्य जो विसंगतियां हैं, जब तक उसे दूर नहीं किया जाएगा.
तब तक अतिरिक्त एफएआर टीडीआर के जरिए कोई भी नहीं खरीदेगा। इसके अलावा पिछले दिनों शासन ने 30 फीसदी तक अवैध निर्माणों की कम्पाउंडिंग करने की मंजूरी भी दी है, जिसकी प्रक्रिया भी निगम ने शुरू कर दी है। अब यह भी सुझाव आया है कि कम्पाउंडिंग की वर्तमान दर 12 प्रतिशत आवासीय पर और 18 प्रतिशत व्यवसायिक पर है।
चूंकि टीडीआर के जरिए भी अतिरिक्त एफएआर खरीदा जाएगा और 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग के जरिए नियमितिकरण होगा, लिहाजा एफएआर की दरों में समतुल्यता बनाए रखने के लिए 50 प्रतिशत कम्पाउंडिंग शुल्क निर्धारित करते हुए नियमों में संशोधन किया जाना है।
यानी कम्पाउंडिंग शुल्क भी बढ़ जाएगा। उल्लेखनीय है कि इंदौर नगर निगम ने पूर्व में 30 फीसदी कम्पाउंडिंग के जो ऑनलाइन आवेदन लिए थे, उसी से उसको लगभग 100 करोड़ रुपए प्राप्त हो गए। अब अगर कम्पाउंडिंग शुल्क बढ़ता है तो निगम की आय में भी इजाफा हो जाएगा। इसके साथ ही निगम और स्मार्ट सिटी कम्पनी को भी यह अधिकार मिलेंगे कि वह शहर में पुनर्घनत्वीकरण यानी रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्टों को हाउसिंग बोर्ड की तर्ज पर अमल में ला सके।
इसके लिए प्रोजेक्ट और एजेंसी का चयन कलेक्टर की अनुशंसा पर किया जा सकेगा। इसी तरह प्राधिकरण के प्रस्तावित स्टार्टअप पार्क में सुपर कॉरिडोर की जगह मास्टर प्लान को मान्य करने और कन्वेंशन सेंटर के लिए भी उपांतरण के नियमों का परीक्षण करने को कहा है।