इंदौर : सन 1715 में इंदौर के संस्थापक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने इसे एक करमुक्त शहर बनाकर मालवा की व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बनाने का सपना देखा था और आज अपनी स्थापना के 306 वर्षों के बाद इंदौर सिर्फ मालवा ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बना चूका है। इंदौर के 306 वे स्थापना दिवस पर श्री इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति एवं श्री संस्थान बड़ा रावला कार्यालय द्वारा शहर के स्वर्णिम इतिहास और गौरवशाली वर्तमान का जश्न पूरे राजसी ठाठ-बाट के साथ 3 मार्च को शाम 7 बजे से जूनी इंदौर स्थित बड़ा रावला परिसर में मनाया जाएगा।
हर वर्ष की तरह इस उत्सव को राव राजा श्रीकांत मंडलोई जमींदार, रानी माधवी मंडलोई जमींदार, युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार, राजबाई श्रिया मंडलोई जमींदार के सानिध्य में इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति द्वारा आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम की रुपरेखा के बारे में जानकारी देते हुए युवराज वरदराज मंडलोई जमींदार ने बताया पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के प्रकोप के कारण इस आयोजन को बेहद सादगी से मनाया गया था परंतु इस वर्ष इंदौर के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में शहर की उन्नति में योगदान देने वाले प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही एक अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें श्री जगदीश सोलंकी, श्री गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण', सुश्री भुवन मोहिनी, सुश्री प्रियंका राय, श्री सरफ़राज़ नूर और श्री हिमांशु बवंडर कवितापाठ करेंगे। कार्यक्रम के सूत्रधार राष्ट्रकवि सत्यनारायण जी सत्तन होंगे।
युवराज वरदराज ने बताया कि कार्यक्रम में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले 'भारत की बेटी फाउंडेशन' की संस्थापक सुरभि मनोचा चौधरी को 'राव राजा रत्न' सम्मान दिया जाएगा। उनका एनपीओ विशेष रूप से मासिक धर्म स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फ़ैलाने और जरूरतमंद महिलाओं तक जरुरी सहायता पहुंचाने का कार्य करता है। इसी तरह बेसहारा बुजुर्गों की सेवा करने वाली समाज-सेविका श्रीमती भाग्यश्री खरखड़िया और झुग्गी बस्ती के बच्चों तक शिक्षा का उजाला पहुंचाकर उनके होंठों पर मुस्कान लाने वाले ऑपरेशन स्माइल के संस्थापक अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त संजय सांवरे को भी सम्मानित किया जाएगा।
इंदौर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए रानी माधवी मंडलोई जमींदार ने कहा कि 18वीं शताब्दी में इंदौर एक छोटा-सा गांव था। इस गांव को मालवा की व्यापारिक राजधानी बनाने के श्रेय हमारे पूर्वज और इंदौर के पहले राव राजा नंदलाल मंडलोई को जाता है। परमार काल से यहां मंडलोई वंश का शासन रहा है, तब राजकीय कार्य कंपेल से किए जाते थे। समय के साथ राजकार्य इंदौर से किया जाने लगा। इंदौर से करमुक्त व्यापार शुरू करने के लिए राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने ही मुगलों और मराठा शासकों को सहमत किया था, जिसके बाद कन्याकुमारी से लेकर चीन तक जो भी व्यापार इंदौर के जरिए किया जाता, वह करमुक्त कर दिया गया था। यह विश्व का पहला SEZ का उदाहरण है।
इतना ही नहीं इंदौर शहर के विकास और हरियाली के लिए राव राजा नंदलाल मंडलोई ने ही 9 लाख आम के पेड़ लगाने का संकल्प लिया था। उन्हीं के शासन काल में चंपाबाग, कुंजवन, चांदनीवाला बाग, केवड़ी बाग, गुलर बाग, प्रेम बाग, शंकर बाग, अनारबाग व नौलखा बाग का निर्माण कराया गया था।