पेरू :
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू का राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। पेरू में सरकार के खिलाफ जबरदस्त हिंसक प्रदर्शन जारी है। सोमवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई। पेरू के हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर लगाम लगाने के लिए खूनी हिंसा के एक दिन बाद मंगलवार को कर्फ्यू लगाने का फैसला किया।
सरकार के आदेश के मुताबिक, कर्फ्यू स्थानीय समयानुसार रात 8 बजे से सुबह 4 बजे (0100 से 0900 GMT) तक लागू रहेगा। कर्फ्यू लगाने का आदेश दक्षिणी पेरू के पुनो इलाके में दिया गया है। प्रधानमंत्री अल्बर्टो ओटारोला ने बताया कि फिलहाल अगले तीन दिनों तक कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि कि रातभर प्रदर्शनकारियों ने क्षेत्र की दुकानों में लूटपाट की और पुलिस वाहनों पर भी हमला किया। साथ ही प्रदर्शनकारियों की ओर से जूलियाका शहर स्थित एयरपोर्ट पर धावा बोलने की कोशिश में अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ गई। जूलियाका अस्पताल के एक अधिकारी के मुताबिक, 14 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से कई को गोली लगी थी। जूलियाका में एक शॉपिंग सेंटर में तोड़फोड़ के दौरान तीन और लोगों की मौत हो गई, जबकि अंतिम ज्ञात पीड़ित एक पुलिस अधिकारी था, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उसके वाहन में आग लगने के बाद उसकी मौत हो गई।
पेरू के पूर्व राष्ट्रपति पेड्रो कैस्टिलो को पद से हटाए जाने के विरोध में जारी प्रदर्शन में एक महीने में 40 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें सोमवार रात मारे गए 18 लोग भी शामिल हैं। देश के ह्यूमन राइट्स ऑफिस ने बताया कि सोमवार 09 जनवरी विरोध प्रदर्शनों का अब तक का सबसे घातक दिन था। यह विरोध जल्द चुनाव और जेल में बंद पूर्व राष्ट्रपति पेड्रो कैस्टिलो की रिहाई की मांग को लेकर जारी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी हेनरी रेबाजा के मुताबिक, हाल ही में साउथ पेरू के पुनो क्षेत्र में टिटिकाका झील के किनारे के शहर जुलियाका में झड़पें हुईं। इस झड़प में 68 लोग घायल हो गए। मंत्रालय के मुताबिक, मृतकों में कम से कम दो किशोर भी शामिल हैं। पुनो क्षेत्र जो बोलिविया की सीमा से लगा हुआ है, जो कैस्टिलो समर्थकों के नेतृत्व में विरोध आंदोलन का केंद्र बन गया है।