हमारे देश के खाने का स्वाद और सुगंध की दुनिया भर में मिसाल दी जाती है। भारतीय खानों में इस्तेमाल होने वाले शुद्ध मसाले और तेल हमारे खाने का स्वाद बढ़ाते हैं। भारत में ज्यादातर लोग जिस तेल का सेवन खाना पकाने में करते हैं वो है सरसों का तेल। सरसों का तेल नेचुरल ऑयल है जिसमें बॉडी के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद है। इस तेल की पोषण प्रोफाइल की बात करें तो इसमें सैचुरेटेड फैट, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, ओमेगा-6 फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड, फाइबर और अन्य माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स मौजूद होते हैं। ये सभी पोषक तत्व बॉडी को हेल्दी रखते हैं।
कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि सरसों के तेल का सेवन करने से वजन कंट्रोल रहता है, बॉडी हेल्दी रहती है और दिल की सेहत भी दुरुस्त रहती है। भारत में जिस तेल का सेवन हर घर में किया जाता है उस तेल को अमेरिका समेत कई देशों नें बैन कर दिया है। अपनी खास सुगंध और स्वाद बढ़ाने वाला ये तेल विदेशों में आखिर क्यों बैन किया गया। आइए जानते हैं कि आखिर इस तेल को अमेरिका और यूरोप में क्यों बैन किया गया है।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food And Drug Administration) के अनुसार सरसों के तेल में इरुसिक एसिड (erucic acid) की मात्रा काफी अधिक होती है। यह एक प्रकार का फैटी एसिड है जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। इस एसिड का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म ठीक से नहीं हो पाता और यह ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
इरुसिक एसिड याददाश्त को कमजोर करता है और कई तरह के मानसिक रोगों का कारण बनता है। इस तेल का सेवन करने से शरीर में वसा का संचय भी बढ़ जाता है। सरसों के तेल के ये सभी अवगुणों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका, कनाडा और यूरोप में इसे बैन कर दिया गया है।
इरुसिक एसिड (erucic acid) एक मोनोअनसैचुरेटेड ओमेगा-9 फैटी एसिड है जो आमतौर पर सरसों के तेल में पाया जाता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि इरुसिक एसिड के अधिक सेवन से सेहत को नुकसान पहुंचता है। इस तेल से ब्रेन की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। इरुसिक एसिड का बढ़ता स्तर मायोकार्डियल लिपिडोसिस के विकास से जुड़ा हुआ है। ये एक ऐसी स्थिति है जो दिल की मांसपेशियों की कोशिकाओं में वसा का संचय करती है जिसकी वजह से दिल की सेहत पर असर पड़ता है।
इरुसिक एसिड बॉडी के लिए हानिकारक है इसका रोजाना सेवन करने से लिवर की हेल्थ पर असर पड़ता है। इस तेल को रोजाना खाने से लिवर का आकार बढ़ जाता है। ये एसिड फैटी लिवर की परेशानी को बढ़ा सकता है और लिवर से जुड़ी परेशानियों का खतरा भी बढ़ा सकता है। ज्यादा मात्रा में इरुसिक एसिड का सेवन करने से दस्त, पेट में ऐंठन और मतली सहित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं।