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खत्‍म होने की कगार पर था फ्यूल, कराची में लैंड हुआ भारतीय प्‍लेन, पाक आर्मी ने नशीला पदार्थ मिला खाना खिलाया और फिर...

देश-विदेश Published by: Pushplata Updated Wed, 30 Apr 2025 12:43 PM
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Indian Plan Hijack: दिल्‍ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस का प्‍लेन अपनी मंजिल के लिए उड़ान भर चुका था. इस प्‍लेन में क्रू के अलावा 83 पैसेंजर्स मौजूद थे. किसे पता था कि दिल्‍ली से मुंबई के लिए शुरू हुआ यह सफर प्‍लेन में मौजूद हर शख्‍स के लिए जीवन का सबसे भयावह सफर बन जाएगा. फ्लाइट निर्धारित रूट पर तेजी से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही थी. इसी बीच, प्‍लेन में मौजूद छह युवक एक-एक कर अपनी सीट से खड़े हुए और इशारों में एक-दूसरे से कुछ बात की. इसके बाद, कुछ युवक कॉकपिट की तरफ बढ़ गए तो कुछ प्‍लेन की अलग-अलग लोकेशन पर जाकर खड़े हो गए.

आज से करीब 48 साल पुरानी इस घटना में कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले दो युवक जबरन कॉकपिट में घुसने में कामयाब रहे. पायलट कुछ बोल पाते इससे पहले दोनों ने पिस्‍तौल उनकी कनपटी पर तान दी. इसके बाद, कॉकपिट के बाहर खड़े युवकों ने भी अपने हथियार लहराना शुरू कर दिए. कुछ ही पलों में पूरा प्‍लेन हाईजैक-हाईजैक की आवाज से गूंज गया. इन हथियारों से लैस युवकों को देख और हाईजैक की बात सुन पैसेंजर्स के बीच में हड़कंप मच गया. प्‍लेन को पूरी तरह से अपने काबू में करने के बाद हाइजैकर्स ने कैप्टन बीएन रेड्डी और को-पायलट आरएस यादव को लीबिया ले चलने का फरमान सुना दिया.

सिर्फ दिल्‍ली तक वापस आने का बचा था फ्यूल

10 सितंबर 1976 को हुई इस घटना में कैप्टन रेड्डी ने हाईजैकर्स को समझाना चाहा कि यह प्‍लेन दिल्‍ली से मुंबई के लिए उड़ा था. वे लंबे समय से एक ही जगह पर चक्‍कर लगा रहे हैं, लिहाजा अब इतना भी फ्यूल नहीं बचा है कि वे अब मुंबई भी पहुंच सकें. प्‍लेन में अब सिर्फ इतना ही फ्यूल बचा है कि वह या तो दिल्‍ली वापस जा सकते हैं या फिर जयपुर तक का सफर तय कर सकते हैं. इससे आगे जाने के लिए प्‍लेन में एक फ्यूल का एक कतरा भी नहीं हैं. लेकिन दोनों हाईजैकर्स नहीं चाहते थे कि प्‍लेन दिल्‍ली में वापस लैंड हो. हाईजैकर्स लंबे समय तक आपस में बात करते रहे, लेकिन यह नहीं तय कर पाए कि क्‍या किया जाए.

प्‍लेन कराची ले चलने का सुना दिया फरमान

कैप्टन बीएन रेड्डी ने एक बार फिर हाईजैकर्स को समझाने की कोशिश की कि उनके पास लीबिया जाने के लिए फ्यूल नहीं है. साथ ही, यह भी बताया कि लीबिया जाने के लिए फ्यूल के साथ-साथ एयर मैप और एटीसी कंट्रोल सपोर्ट की जरूरत भी होगी. कैप्‍टन रेड्डी की बात सुनने के बाद हाइजैकर्स ने प्‍लेन को पाकिस्‍तान के कराची एयरपोर्ट चलने को कहा. इस बीच, मौका मिलते ही पायलट ने दिल्‍ली एटीसी को प्‍लेन हाईजैक होने के सिग्‍नल भेज दिए थे और यह प्‍लेन अब कराची एयरपोर्ट की तरफ बढ़ चुका था. कुछ ही मिनटों के बाद इंडियन एयरलाइंस का यह प्‍लेन कराची एयरपोर्ट पर लैंड हो चुका था.

भारत की चेतावनी से घबराया पाकिस्‍तान

प्‍लेन को कराची एयरपोर्ट पर लैंड हुए लंबा वक्‍त बीच चुका था, लेकिन हाईजैकर्स की तरफ से बातचीत की कोई शुरूआत नहीं हुई थी. इस बीच, भारत सरकार ने पाकिस्‍तान को साफ चेतावनी दे दी थी कि पैसेंजर और क्रू के साथ कुछ भी हुआ तो इसका खामियाजा पूरे पाकिस्‍तान को भुगतना होगा. किसी भी कीमत में भारत को सभी पैसेंजर्स और क्रू सुरक्षित वापस चाहिए. भारत का धमकी काम आ गई और पाकिस्‍तान रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया. रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन की जिम्‍मेदारी पाकिस्‍तानी सेना को मिली. उधर, पाकिस्‍तानी जमीन पर पहुंचने के बाद हाईजैकर्स भी इत्‍मिनान में दिख रहे थे.

पाकिस्‍तानी आर्मी ने खाने में नशीली दवा मिला दी 

इधर, एक खास इरादे से पाकिस्‍तानी सेना हाईजैकर्स की आवभगत में जुट गई. पाक सेना ने हाईजैकर्स को न केवल भरपेट खाना दिखाया, बल्कि पीने के लिए अलग अलग ड्रिंक्‍स भेजी. पाकिस्‍तानी सेना द्वारा भेजी गई ड्रिंक्‍स और खाने ने कुछ ही समय बाद अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. दरअसल, हाईजैकर्स को भेजे गए खाने और ड्रिंक्‍स में पाकिस्‍तानी सेना ने नशीली दवा मिला दी थी. कुछ ही समय बाद सभी हाईजैकर्स बेहोश हो गए. हाईजैकर्स के बेहोश होने के बाद पाकिस्‍तानी सेना के कमांडो प्‍लेन में दाखिल हुए और सभी हाईजैकर्स को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद, इन हाईजैकर्स की पहचान एम अहसान राठौर, सैयद अब्दुल हमीद दीवानी, अब्दुल राशिद मलिक, सैयद एम रफीक, ख्वाजा गुलाम और गुलाम रसूल के तौर पर हुई थी.

जांच में पता चला कि ये सभी हाईजैकर्स कश्‍मीरी आतंकी थे. हाईजैकर्स पर काबू पाने के बाद प्‍लेन को सभी 83 पैसेंजर्स के साथ दिल्‍ली के लिए रवाना कर दिया गया. यह प्‍लेन अगले दिन यानी 11 सितंबर 1974 को अपने सभी पैसेंजर्स के साथ दिल्‍ली पहुंच गया.

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