सर्दियों के मौसम की सबसे अच्छी बात ये है कि आप सप्ताह के सातों दिन एक नई सब्जी से थाली की शान बढ़ा सकते हैं. भाजियां ही इतनी तरह की आ जाती हैं कि बाकी सब्जियों की गिनती ही नहीं हो पाती. पालक, मेथी, मूली की भाजी, सुआ की भाजी बस गिनते जाइए. हरी भरी भाजियों के बीच एक भाजी आती है जिसे कहते हैं लाल भाजी. वैसे तो लाल भाजी की गिनती हरी सब्जियों में ही होती है, पर इसकी रंगत के चलते इसे लाल भाजी कहा जाता है. जो कुछ कुछ पालक जैसी दिखती है. इन दोनों के स्वाद और खूबियों में जमीन आसमान का अंतर है.
दरअसल चौलाई लाल और हरे रंग दोनों में आती है. आमतौर पर हरे रंग वाली भाजी को चौलाई के नाम से जाना जाता है. जबकि लाल चौलाई, लाल भाजी या लाल साग के नाम से ही प्रचलित है. सर्दियों में मिलने वाली चौलई ही लाल भाजी कहलाती है. इसे कुछ स्थानों पर तंदुलीय, अमरंथ भी कहा जाता है. पालक से मिलती जुलती होने की वजह से इसे रेड स्पिनेच भी कहते हैं. वैज्ञानिक नाम एमरेंथ डबियस है.
सर्दियों में मिलने वाली हर भाजी कुछ न कुछ खूबी समेटे हुए है. उनसे तुलना करें तो लाल भाजी में खूबियों की खान नजर आएगी. ये विटामिन ए, सी, के जैसे विटामिन से भरपूर है लाल भाजी. साथ में फोलेट, राइबोफ्लेविन और कैल्शियम के गुण भी इसमें मौजूद हैं. लाल भाजी पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है. इसकी डंठल खाने की सलाह भी दी जाती है. जिसमें फाइबर्स अच्छी मात्रा में होते हैं. ये फाइबर्स डाइजेशन को बेहतर बनाते हैं.
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