खराब खानपान और लाइफस्टाइल के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से अधिकतर लोग परेशान हैं। ये एक ऐसी समस्या है जिसे समय रहते कंट्रोल नहीं किया गया, तो कई अन्य गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। डायबिटीज से परेशान लोगों को लाइफ टाइम अपने खानपान का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। ऐसे में हर किसी की सबसे बड़ी टेंशन यही होती है कि आखिर क्या खाना सही होगा और क्या नहीं? ऐसे ही कई लोग बेसन को लेकर असमंजस भी रहते हैं कि ब्लड शुगर में बेसन खाना लाभकारी होगा कि नहीं। ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट का अलग-अलग मानना है। कई लोग डायबिटीज के मरीजों को बेसन न खाने की सलाह देते हैं, तो कई इसे एक लिमिट तक खाने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ब्लड शुगर में बेसन का क्या प्रभाव पड़ता है।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, चने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 6 होता है, लेकिन जब इसे पीसकर बेसन बनाया जाता है, तो इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 से कम होता है। इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है। ब्लड शुगर के मरीज इसका सेवन कम मात्रा में कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसमें प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है। इसके साथ ही शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करता है। ऐसे में ब्लड में शुगर की मात्रा ठीक रहती है। इसके अलावा बेसन में विटामिन, थायमिन और फोलेट काफी अच्छी मात्रा में होता है, जो ग्लूकोज चयापचय के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
कई हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि बेसन काफी हद तक ब्लड शुगर बढ़ाने में भी मदद करता है। ऐसे में डॉ का कहना है कि अगर बेसन से बनी चीजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 28 से 35 तक पहुंच जाता है, तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा तब ही होता है जब डायबिटीज के मरीज बेसन से बनी चीजें जैसे भाजी, पकौड़ा, नमकीन आदि का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं।
बेसन का सेवन करना चाहते हैं, तो कभी भी अधिक ऑयली फूड के रूप में न खाएं। बल्कि इसे टोस्ट, खांडवी, चीला, रोटी के रूप में खा सकते हैं।
बेसन को आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। आप चाहे, तो गेहूं के आटे में थोड़ा सा बेसन मिल सकता है। इसके अलावा आप इसे रोटी या फिर चीला के रूप में खा सकते हैं। आप दिन में 3 से 4 बेसन की रोटियां या फिर 1 से 2 बेसन के चीले खा सकते हैं।