नई दिल्ली : गैर जरूरी और बेवजह की जनहित याचिकाओं (PIL) को लगाने वालों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बेहद सख्त है. ताजा मामला कश्मीर विवाद (Kashmir Dispute) के समाधान के लिए मनमोहन सिंह-परवेज मुशर्रफ के चार सूत्री फॉर्मूले को लागू करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता केमिकल इंजीनियर पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि वह दायर याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में दायर पीआईएल के जरिए याचिकाकर्ता ने रेखांकित किया कि समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता है. देशपांडे ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ( Dr. Manmohan Singh) और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) द्वारा तैयार किए गए तथाकथित चार सूत्रीय फार्मूले के अमल का समर्थन किया. इस फॉर्मूले में स्वायत्तता, संयुक्त नियंत्रण, विसैन्यीकरण और बगैर बाड़ वाली सीमा की समस्या का समाधान आदि शामिल है. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इन मसलों पर आगे बातचीत की जा सकती है.
इस मामले पर शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि अदालत नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और यह याचिका ‘प्रचार हित याचिका’ के रूप में अधिक प्रतीत होती है. पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के वकील को सूचित कर रही है कि इस तरह की याचिकाओं से अदालत का समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएगी.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ प्रभाकर वी देशपांडे के देश की विदेश नीति और रक्षा तंत्र पर असर डालने वाले इस तरह के सुझावों से इतनी नाराज हो गई कि उन्होंने उनकी जनहित याचिका में की गई हास्यास्पद प्रार्थना को निकाल दिया. . . कश्मीर मुद्दे/समस्या को हल करने के लिए परवेज मुशर्रफ-मनमोहन सिंह फार्मूले को लागू करने के लिए प्रतिवादी प्राधिकरण/भारत सरकार पर एक रिट/आदेश या निर्देश.
पीठ ने कहा याचिका फालतू बातों से भरी हुई है, जो किसी भी स्थिति में न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. उदाहरण के लिए याचिका का पैराग्राफ 4(vi) नीचे निकाला गया है.