नई दिल्ली. जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आर्थिक स्थिति निराशाजनक है. उन्होंने दावा किया कि खाद्य पदार्थों की महंगाई अनियंत्रित बनी हुई है, ग्रामीण भारत पीछे छूट गया है.
केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण पर कांग्रेस ने जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि क्या सावन माह के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण मांसाहार को बढ़ावा दे रहा है? उन्होंने आगे लिखा कि चावल, गेहूं, या यहां तक कि बाजरा, दालें और तिलहन का उत्पादन करके छोटे किसानों की आय नहीं बढ़ाई जा सकती है. उन्हें उच्च मूल्य वाली कृषि- फल और सब्जियां, मछली पालन, मुर्गी पालन, डेयरी और भैंस के मांस की ओर बढ़ने की जरूरत है.
बता दें कि बजट से पहले सरकार की ओर से पेश आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. साथ ही इसमें अर्थव्यवस्था में अधिक नौकरियां सृजित करने की जरूरत के साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का समर्थन किया गया है.
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आर्थिक स्थिति निराशाजनक है. उन्होंने दावा किया कि खाद्य पदार्थों की महंगाई अनियंत्रित बनी हुई है, ग्रामीण भारत पीछे छूट गया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार की किसान विरोधी मानसिकता सामने आ गई है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए मोदी सरकार बेहद उदार रही है. 1.5 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट कर में कटौती की गई और दो लाख करोड़ रुपये की पीएलआई की गई है. लेकिन सरकार ने यह उदारता बदले में निवेश या नियुक्ति को प्रोत्साहित किए बिना दिखाई है.
उन्होंने दावा कि आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि हमें अगले 20 वर्षों तक हर साल लगभग 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी. 80 लाख नौकरी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की बड़ी आर्थिक रणनीति में एक निश्चित बदलाव की जरुरत है. उन्होंने कहा कि भारत कई सालों में अपनी सबसे अनिश्चित और कठिन आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है.