नई दिल्ली :
झारखंड में स्थित जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. इस मामले को लेकर जैन समाज के लोग देशभर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब मोदी सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करने वाली है.
जानकारी के मुताबिक, जैन समुदाय के विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए मोदी सरकार जल्द ही इस बारे में कोई बड़ा फैसला ले सकती है. इससे पहले 1 जनवरी 2023 रविवार को बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के नेतृत्व में पार्टी के कई नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की थी. इस दौरान मनोज तिवारी ने प्रदर्शनकारियों से 15 दिन में उनकी मांग को पूरी करने का आश्वासन दिया था.
दरअसल, श्री सम्मेद शिखरजी को जैन समाज का बड़ा पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है. श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहते हैं. जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, उनके कई तीर्थकरों और भिक्षुओं ने यहां पर मोक्ष प्राप्त किया था. जैन समाज के लोग इसके कण-कण को बड़ा पवित्र मानते हैं. इस क्षेत्र में जैन समाज के प्रसिद्ध मंदिर हैं. इस क्षेत्र को टूरिस्ट प्लेस घोषित करने से जैन समाज के लोग नाराज हो गए हैं. उनका मानना है कि इससे उनके धार्मिक स्थल की पवित्रता को नुकसान पहुंचेगा.
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर रहमान ने इस मामले को संसद में भी उठाया था. लोकसभा में सांसद मनोज तिवारी ने कहा था झारखंड सरकार के फैसले का सीधा असर सम्मेद शिखर की पवित्रता पर पड़ा है. जैन लोग चाहते हैं कि इस आदेश को रद्द किया जाए.
वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री सोरेन ने लिखा उन्हें अभी इस मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है. उन्हें बस इतना पता है कि केंद्र सरकार ने पार्श्वनाथ पर्वत को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ है इसलिए वे इस मामले अभी अपनी कोई राय नहीं दे सकते हैं.उन्होंने कहा, “राज्य सरकार की तरफ से अभी इस पर ना कोई टिप्पणी गई है और ना ही कोई फैसला लिया गया है.