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भूस्खलन से नुकसान पर केंद्र ने जताई चिंता : सुप्रीम कोर्ट में होगी अगले हफ्ते सुनवाई

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Tue, 05 Sep 2023 09:44 PM
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दिल्ली :

ग्रेटर नोएडा के रहने वाले अशोक कुमार राघव की जनहित याचिका में कहा गया है कि हिमालयी इलाके का पारिस्थितिकी संतुलन यानीबहुत नाजुक है. केंद्र सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के शहरों की भार सहने की क्षमता पर अध्ययन को जरूरी बताया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह 13 पहाड़ी राज्यों को इसके लिए विशेषज्ञ कमिटी बनाने का निर्देश दें. केंद्र ने कहा है कि वह भी एक एक्सपर्ट पैनल बनाएगा, जो राज्यों की तरफ से बनाए गए एक्शन प्लान का मूल्यांकन करेगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन से हो रहे नुकसान पर चिंता जताते हुए केंद्र से जवाब मांगा था.

ग्रेटर नोएडा के रहने वाले अशोक कुमार राघव की जनहित याचिका में कहा गया है कि हिमालयी इलाके का पारिस्थितिकी संतुलन यानीबहुत नाजुक है, लेकिन वहां शहरों और दूसरे क्षेत्रों पर बोझ बढ़ता जा रहा है. बिना किसी अध्ययन के वहां निर्माण कार्य हो रहे हैं और आबादी बसाई जा रही है. बिना रोक-टोक बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी जाने दिया जा रहा है. उस पूरे क्षेत्र की बोझ सहने की क्षमता, पानी और सीवेज की उपलब्धता, मेडिकल सुविधा, गाड़ी पार्क करने की जगह जैसी किसी भी बात का मूल्यांकन किए बिना सभी गतिविधियां चल रही हैं.

21 अगस्त 2023 को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था. अब केंद्र ने बताया है कि 2020 में ही 'गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान' ने हिमालयी शहरों की बोझ सहने की क्षमता पर अध्ययन के बारे में 13 राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए थे. अब कोर्ट इन राज्यों से कहे कि वह जल्द से जल्द इस दिशा में काम शुरू करें.

केंद्र ने जिन 13 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में ऐसे अध्ययन की जरूरत बताई है, वह हैं- जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड और त्रिपुरा. केंद्र ने सुझाव दिया है कि राज्य अपने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में यह कमिटी बनाएं. इसमें आपदा प्रबंधन, हाइड्रोलॉजी, रिमोट सेंसिंग, हिमालयी भूविज्ञान, वन और वन्य जीव विशेषज्ञों के अलावा निर्माण कार्य, प्रदूषण, भूमिगत जल जैसे विषय के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाए.

केंद्र ने इस बात को जरूरी कहा है कि सभी हिल स्टेशन की भार सहने की क्षमता की सटीक जानकारी उपलब्ध हो और सभी राज्य उसके हिसाब से ही मास्टर प्लान और क्षेत्रीय विकास प्लान जैसी योजनाएं बनाएं. सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई हो सकती है. abp news

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