भोपाल : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बाद अब लोक निर्माण विभाग ने भी अपने यहां कार्यरत 9000 स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतन मान समस्त भत्तों के साथ देने की कार्यवाही शुरू कर दी है। प्रमुख अभियंता कार्यालय के अधीक्षण यंत्री प्रशासन अजीत चटर्जी ने लोक निर्माण विभाग के समस्त कार्यपालन यंत्रियों को 21 नवंबर को पत्र भेजकर कुशल एवं अर्ध कुशल तथा अकुशल के रूप मे कार्यरत स्थाई कर्मियों को वर्ष 2016 की स्थिति में तथा वर्तमान माह अक्टूबर 2022 की स्थिति में मिलने वाले वेतन भत्तों की जानकारी मांगी है।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता की इस कार्यवाही का मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने स्वागत किया है और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में जैसे पीएचई विभाग एवं लोक निर्माण विभाग में स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतनमान समस्त भत्तो के साथ देने का निर्णय लिया गया है उसी के अनुरूप शासन के समस्त विभागों में कार्यरत स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतन समस्त भत्तों सहित देने के आदेश शासन से जारी किया जाए।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राम नरेश रावत बानाम अश्वनी राय प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रकरण में 15 दिसंबर 2016 को आदेश जारी किए थे की स्थाई कर्मियों को दिसंबर 2016 से सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतनमान प्रदान किया जाए। उक्त आदेश के पालन में मध्य प्रदेश की मंत्रिपरिषद ने 2 अगस्त को स्थाई कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान सातवें वेतनमान का देने की स्वीकृति दे दी है। लेकिन शासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लाभ मात्र लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और अब लोक निर्माण विभाग में स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतन 6 वर्ष के एरियर सहित देने की कार्रवाई की है।
जबकि शासन के अन्य 50 विभागों में स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतनमान देने की कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे अन्य विभागों में कार्यरत 40000 स्थाई कर्मियों में असंतोष का वातावरण निर्मित है। इसलिए मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश समस्त विभागों कार्यरत समस्त स्थाई कर्मियों के लिए लागू होता है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में समस्त विभागों के स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतन का लाभ दिसंबर 2016 से देने के आदेश अतिशीघ्र दिया जाए।
नियमितीकरण कराकर सातवां वेतनमान दिलाने सहित अन्य मांगों को लेकर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने मप्र कार्यभारित (कर्मचारी) एवं दैनिक वेतन भोगी श्रमिक महासंघ के बैनर तले मुख्य मंत्री से मांग की गई है कि हमारी मांगे शीघ्र माने वरना शीध्र ही प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
दैनिक वेतनभोगी कर्मियों, गैंगमैनों को जिस श्रेणी में कार्यरत है उसी पर बिना शर्त नियमितीकरण कर स्थाई कर्मियों के समान समस्त हितों का लाभ दिया जाए। अनुकंपा नियुक्ति फिर से बहाल की जाए और सातवें वेतनमान का लाभ तत्काल दिया जाए। कुशल श्रेणी में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, गेंगमैन श्रमिकों के लिए 5000- 100 और 8000 को बढ़ाया जाए, ताकि 30 साल की सेवा वाले कर्मियों को वेतनवृद्धि का लाभ मिल सके। विभिन्न विभागों के दैनिक वेतन भोगियों को स्थाई कर्मियों का वेतन दिया जाए। अग्रवाल वेतन आयोग की अनुशंसा के तहत समयमान वेतनमान के साथ क्रमोन्नति, पदोन्नति का लाभ दिलाए। विभिन्न विभागों में कई सालों से कार्यरत अंशकालीन वाटरमेन, स्वच्छकारों को पूर्णकालिक किए जाए।
वन विभाग की वन समितियों में स्थाई कर्मी घोषित कराने, उपादान भुगतान अधिनियम का भुगतान दिलाने, नगरीय निकायों में कार्यरत मई 2007 से 2916 तक नियुक्त दैनिक वेतन भोगियों को नियमित कराने आदि की मांगें की गई है।