ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रह की स्थिति में परिवर्तन के साथ कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। ऐसे ही इस समय कन्या राशि में ग्रहों के सेनापति और भूमिपुत्र मंगल ग्रह विराजमान है। ऐसे से इस राशि में शत्रुहंता योग का निर्माण हो रहा है। ये योग 18 सितंबर तक रहेगा। ऐसे में कई राशियों को विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में…
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शत्रुहंता योग दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है शत्रुओं का नाश करने वाला। कुंडली में छठा भाव शत्रु का होता है। ऐसे में जब इस भाव में मंगल या फिर शनि की स्थिति या फिर दृष्टि पड़ती है, तो इस योग का निर्माण होता है। इस योग को शुभ योगों में एक माना जाता है, क्योंकि इस योग के बनने से जातकों को कर्ज, कानूनी समस्याओं से निजात मिलने के साथ धन लाभ होता है। इसके साथ ही हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।
इस राशि में मंगल आठवें भाव के स्वामी है। इसके साथ ही वह कन्या राशि में प्रवेश करके छठे भाव में विराजमान है। जहां पर शत्रुहंता योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के बनने से जातकों को कानूनी मामलों से छुटकारा मिल सकता है। पेशेवर जीवन में कई तरह के बदलाव मिल सकते हैं। इसके साथ ही सहकर्मियों का पूरा साथ मिल सकता है। आप अपनी मेहनत के बल पर हर तरह अपनी वाहवाही लुटेंगे। समाज में मान-सम्मान भी बढ़ेगा।
इस राशि में मंगल के छठे भाव में होने से इस योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में इस राशि के जातकों को हर क्षेत्र में सफलता हासिल हो सकती है। प्रतिद्वियों के ऊपर विजय प्राप्त होगी। अपने आत्म-विश्वास के बल पर हर एक समस्या से छुटकारा पा लेंगे। इसके साथ ही नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले लोगों को भी अचानक धन लाभ हो सकता है।
इस राशि में छठे भाव में शत्रुहंता योग बनने से इस राशि के जातकों हर चुनौती से छुटकारा पाने का साहस मिलेगा। नौकरीपेशा जातक अपनी मेहनत के बल पर ऊंचाइयों को छुएंगे। आपके हर कदम में शत्रु होंगे। लेकिन उन्हें आप आसानी से हरा सकते हैं।
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