हस्तरेखा शास्त्र में हाथ की प्रत्येक रेखा से आपके जीवन के बारे में कुछ न कुछ जानकारी मिलती है। इसी तरह दोनों हाथों को मिलाकर अगर अर्धचंद्र बने तो इसे बेहद अच्छा माना जाता है। अर्धचंद्र का हाथ में बनना आपके व्यक्तित्व, स्वभाव और भविष्य पर गहरा प्रभाव डालता है। अर्धचंद्रमा आपकी स्मरण शक्त और संबंधों की जानकारी भी देता है। आइए विस्तार से जान लेते हैं कि अर्ध चंद्र के बनने का क्या अर्थ हस्तरेखा शास्त्र में बताया गया है।
हथेली पर अर्ध चंद्रमा हृदय रेखाओं से बनता है। अगर आप हथेली को जोड़ें और दोनों हाथों की हृदय रेखाएं बुध पर्वत से लेकर तर्जनी उंगली तक जाएं तो अर्धचंद्र बनता है। आप ऊपर दी गई तस्वीर में देख सकते हैं कि अर्ध चंद्रमा कैसे बनता है। अगर हथेलियों को जोड़कर अर्धचंद्र स्पष्ट दिखाई देता है तो इसे बेहद शुभ संकेत माना जाता है।
अगर हथेलियां जोड़कर अर्धचंद्र बने तो समझ लीजिए आपको अच्छा जीवनसाथी मिल सकता है। साथ ही आपको विवाह के बाद ससुराल पक्ष से भी खुशियां प्राप्त होती हैं। अर्धचंद्र जितना साफ होगा उतना ही आपका पार्टनर आपको समझने वाला होगा और आपसे स्नेह करेगा। अर्धचंद्र का अर्थ यह भी है कि आप रिश्तों को लेकर ईमानदार होंगे।
अगर आपके हाथ में अर्धचंद्र बना है और कोई अन्य रेखा इसे काट नहीं रही है तो समझ जाइए आप बौद्धिक रूप से सशक्त होंगे। आप आत्मविश्वास से भरे होंगे और जीवन के हर क्षेत्र में सफल होंगे। करियर क्षेत्र में आप धीरे-धीरे प्रगति कर सकते हैं लेकिन एक दिन ऊंचाइयों को जरूर छूते हैं। ऐसे लोगों को विवेकशील और अच्छी स्मरण शक्ति वाला भी माना जाता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिन भी लोगों की हथेलियों में अर्धचंद्र दिखता है वो मुधरभाषी और आसानी से लोगों से घुलने मिलने वाले होते हैं। लोगों की सहायता करने को भी ये हमेशा तैयार रहते हैं इसलिए सामाजिक स्तर पर इनको शुभ फलों की प्राप्ति होती है। रिश्तों के प्रति इनकी वफादारी इन्हें विश्वसनीय बनाती है। कुल मिलाकर हथेली पर बना चंद्रमा बेहद शुभ संकेत है। इसके बनने से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आपको शुभ फल मिलते हैं।
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