एप डाउनलोड करें

क्या अडानी-कांड बनेगा बोफर्स? : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

आपकी कलम Published by: डॉ. वेदप्रताप वैदिक Updated Sat, 04 Feb 2023 10:21 AM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर संसद का यह सत्र लगभग ठप्प हो रहा है। विपक्ष के नेता समझ रहे हैं कि उन्हें बोफर्स की तरह एक जबर्दस्त मुद्दा हाथ लग गया है। पिछले आठ-नौ सालों में मोदी को पटकनी मारने के लिए हमारे नेताओं ने कई हथकंडे अपनाए लेकिन मोदी का जलवा बढ़ता ही गया। अब अडानी के काम-धंधों पर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने उन्हें इतना उत्साहित कर दिया है कि वे संसद का काम-काज ठप्प करने पर उतारु हो गए हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और मोदी पर बनी बी.बी.सी. की फिल्म ने जितना हंगामा खड़ा किया, उससे कहीं ज्यादा बड़ा तूफान आनेवाला है।

अब संसद के बाहर भी धरनों, प्रदर्शनों, पत्रकार परिषदों की झड़ी लगनेवाली है लेकिन असली सवाल यह है कि यह मामला क्या मोदी का बोफर्स बन सकेगा? इसमें शक नहीं है कि अडानी और मोदी दोनों गुजराती हैं, दोनों एक-दूसरे से भली-भांति परिचित हैं और दोनों के बीच सीधा संबंध भी है। अडानी की कंपनियों को भारत की सरकारी बैकों ने जो उधार दिया है, उसके पीछे इन संबंधों की शक्ति से कौन इन्कार कर सकता है? लेकिन क्या विरेाधी दल प्रमाण देकर यह सिद्ध कर सकेंगे कि अरबों-खरबों रू. के मोटे कर्ज अडानी को सरकार के इशारे पर दिए गए हैं? यदि हमारा विपक्ष इससे कुछ ठोस प्रमाण जुटा सका तो मोदी सरकार बड़ी मुश्किल में फंस जाएगी।

लाखों लोगों को शेयर बाजार में जो अरबों-खरबों का नुकसान हो रहा है, क्या वे लोग चुप बैठेंगे? अभी से उन्होंने शोर मचाना शुरु कर दिया है। उनमें से कुछ मुखर लोग जमकर विपक्ष का साथ देंगे और सरकार-विरोधी रहस्योद्घाटन में शामिल हो जाएंगे। कोई आश्चर्य नहीं कि कुछ अफसर भी मजबूरन इन रहस्योद्घाटनों में शामिल हो जाएं। वे अपनी जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अभी तो रिजर्व बैंक और सरकारी नियामक संस्थाओं ने अडानी समूह के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए हैं। अडानी के शेयरों की कीमत रोज़ गिर रही है। सरकार अपनी खाल बचाने के लिए अडानी-समूह के खिलाफ जांच बिठा देगी, उसे अपनी खाल बचाने का एक बहाना मिल जाएगा।

विदेशों में भी इस ग्रुप की साख पर आंच आ रही है। उसके कारण मोदी और भारत की स्वच्छ छवि पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। हो सकता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पीछे कोई मोदी-विरोधी ताकतें भी सक्रिय हों लेकिन मोदी सरकार यदि अपनी स्वच्छता के ठोस प्रमाण नहीं दे सकी तो कोई आश्चर्य नहीं कि यह हिंडनबर्ग रपट बोफर्स-जैसी बन जाए।

03.02.2023

दुबई

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next