एप डाउनलोड करें

प्रखर-वाणी : अहंकार और अभिमान के युध्द में उलझी ये सदी है...चंद की हठ में जान गंवाते नागरिकों की त्रासदी है...

आपकी कलम Published by: प्रो.डॉ. श्याम सुन्दर पलोड Updated Tue, 24 Jun 2025 02:22 AM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

जब दुनिया में क्रान्तिकाल होता है...तो सारी लपटों का रंग लाल होता है...

विश्व में अशांति व अराजकता चरम पर है...भारत शक्तिवान अपने हिन्दू धरम पर है...अब तो दुनिया का थानेदार भी कूद गया लड़ाई में...कोई चूक नही करना चाहते परमाणु ठियों पर चढ़ाई में...रूस यूक्रेन के बीज जंग छिड़ी थी तब माना जा रहा था एक हफ्ते की है...फिलिस्तीन व इजरायल के बीच भी युद्ध कुछ दिनों का माना जा रहा था...अब ईरान व इजरायल लड़ रहे हैं...

अमेरिकी युद्ध बेड़े ईरान के पीछे पड़ रहे हैं...चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है...लाशों के ढेर और चीख पुकार लगा हुआ है...ऊंची ऊंची इमारतें जिनको बनने में वर्षों लगे...ताश के महल की तरह गिर गई लोग रह गए ठगे के ठगे...आग उगलती मिसाइलों के गुबार...धूल और धुंए के बीच चल रहे हथियार...सभी को खतरा बस एक ही बना रहता है...कोई परमाणु हथियार न चला दे वक्त ये कहता है...

खास बात तो यह है कि अरबों के मौद्रिक खर्च के बाद भी कोई परास्त नहीं हुआ...कई दिनों - सालों से उदित जंग का सूर्य कभी अस्त नहीं हुआ...भारत-पाक के बीच रोचक लड़ाई शुरू तो पाक ने की पर बहुत कुछ खो दिया...क्रिकेट के मैच की तरह भारत के सैनिकों ने पाक के नापाक इरादों को धो दिया...हम विश्व शांति की पहल करके भी शेर बने हुए हैं...आतंकवाद के पनाहगीर चहुओर से ढेर बने हुए हैं...हमारे वर्तमान नेतृत्व ने नए भारत की तस्वीर दिखा दी है...

हमारे आधुनिक शस्त्रों की मार ने दुश्मन की पराजय लिखा दी है...सारा का सारा दारोमदार नेता पर होता है...देश खोता है जब राजा सोता है...हमारा राजा जागृत व चतुर है , मुस्तैद है...प्रबन्ध व कूटनीति का जादू उनके दिमाग में कैद है...भारत की अवाम ने मत से इस वक्त ऐसा नेतृत्व निकाला...कोई कितना भी बक ले मोदी - शाह झुकेगा नहीं साला...दुनिया जंग के रंग में लाल है...

कितनों की ही अर्थव्यवस्था उलाल है...अहंकार और अभिमान के युध्द में उलझी ये सदी है...चंद की हठ में जान गंवाते नागरिकों की त्रासदी है...जब दुनिया में क्रान्तिकाल होता है...तो सारी लपटों का रंग लाल होता है...बम - बारूद के धमाकों से भूचाल होता है...फिर खाली खजाने से मुल्क कंगाल होता है...

विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था के दौर में...इंसान उलझ गया मिसाइलों के मनहूस शोर में...अब वर्चस्व की लड़ाई का पुनर्जागरण हो रहा है...वार और प्रहार में मानवता का अंश खो रहा है...निर्दोषों को तबाह होने का दंश मिल रहा है...नरसंहार करती क्रूर प्रजाति का वंश मिल रहा है...भागती - दौड़ती ज़िन्दगी में ग्रहण लग गया है...इंसान की तरक्की को रोकने शैतान जग गया है...

लगता है तृतीय विश्व युद्ध के संकेत मिल रहे हैं...आतंक के अति धमाकों के बीच शरीफ हिल रहे हैं...ऐसे में कोई अग्रदूत बनकर आए और दुनिया को सही राह दिखाए...हिंसा के तिमिर में फंसे वजूद को दीपों की झिलमिलाती रोशनी की तरफ लेकर जाए ।

प्रो. ( डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड : लेखक, कवि एवं वक्ता

4 , श्रीराम मंदिर परिसर, सुदामा नगर, डी-सेक्टर, इंदौर (म.प्र.) स्वरदूत - 9893307800

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next