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पालीवालों पर नजर : कोई अपने आप से...तो कोई अपनों से ही लड़ रहा है : फतेहलाल जोशी

आपकी कलम Published by: paliwalwani Updated Fri, 28 Mar 2025 03:05 AM
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पालीवालों पर नजर : कोई अपने आप से...तो कोई अपनों से ही लड़ रहा है : फतेहलाल जोशी
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...भैय्या जी,, यें दुनियां है, जहां...कान...आंख, और मुंह...ये सब सक्रिय, रहते हैं...परंतु तजुर्बा...भी सदाबहार सुपर स्टार की तरह समर्पित भाव से निरखता है और मनुष्य को वांछनीय और‌ अवांछनिय का अद्भुत अद्वितीय बोध कराता है...तुम जिसको जितनी जादा इज्जत,प्यार, अहमियत दोगे...वह सख्स आपकों उतना ही फालतू समझनें लगेगा...!

रही‌ बात‌ संबंध कि, तो संबंध तो उसी से‌ जुडता‌ है, जिस से पिछले जन्मों का रिश्ता है...वरना लोगों की इस भीड़ में कौन किसको कितना जानता है...रिश्ते...पद...संबंध इतने बनावटी और अमर बेल के जैसे हो गये है कि, जिस से जुड़ते हैं...उसे ही वृक्ष की तरह सुखा देते हैं..., आज हालात यह है कि आंख के ‌अंधे को दुनिया नहीं दिखती..., 

काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता...पद‌ और मद, के अंधे को अपने से‌ श्रेष्ठ कोई नहीं दिखता...हम सब महाभारत के अर्जुन जैसे ही है. जिंस में बाहर का चल रहा युद्ध तो दिखता है, पर मन...आत्मा...दिल में, चलने वाली उथल-पुथल नहीं दिखती है...सब के मन आत्मा दिल में तो महाभारत ही चल रहीं हैं, कोई अपनी हठधर्मिता से...कोई अपनी-अपनी भावनाओं से, कोई अपने आप से...तो कोई अपनों से ही लड़ रहा है, ये महाभारत सब में ‌चल रहीं हैं...!

कारण सब के सब...असंतुष्ठ है, कोई सत्य से तों कोई असत्य से...कोई माया से तो कोई मोह से तो कोई वैराग्य से,...तो कोई मोक्ष के लिए लड़ रहा है...कोई प्राप्त पद के लिये...,तों कोई पद पाने हेतु दुर्योधन...दुसासन की तरह लड़ रहा है, जैसें धृतराष्ट्र अहंकार के लिये... तो युधिष्ठिर मर्यादा और सुकून के लिए, तो कोई भीष्म पितामह की‌ तरह समर्पित, वचनों में उलझकर लड़ रहा है...!

फतेहलाल जोशी (तबाकुवाला) इंदौर

जागरूक दबंग समाजसेवी 

बता दे : आप समय-समय पर हर एक बिंदु पर ऊर्जावन जागरूकता से अपनी बेबाक प्रखर टिप्पणी प्रस्तृत कर अपनी भावनाओं से नादान लोगों को जगाने का प्रत्यन करने की कोशिश सतत् जारी है...

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