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नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई

आपकी कलम Published by: paliwalwani news Updated Fri, 25 Jan 2019 03:34 PM
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नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई
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● नेताजी कह रहे हैं-
तू हिन्दू, तू मुस्लिम, तू सिख, तू ईसाई
● तो बताओ, तुम कैसे हुए भाई-भाई।
भाईचारे के नाम पर
● भाई-भाई को आपस में लड़वाई
अपनों को ही अपने से बैर करवाई
● अमन के नाम पर विष फैलाई।
नेताओं का नहीं है
● कोई धर्म ईमान मेरे भाई।
अब तो साधुबाबा ने भी
● बजरंगी को दलित बतलाई।
कभी भाषा, तो कभी जाति के नाम पर
● लोगों को खूब उकसाई
एक-दूसरे को आपस में भिड़वाई।
● आज नेता अपने व्यंग्यबाण से
नित-नई विष फैला रहा है
● नित्य-नई अड़ंगे डलवा
अपना काम निकाल रहा है
● जनता को लाॅलीपाॅप झांसे में
नित नई भ्रम फैला रहा है
● आज नेता बातें विकास की करता
और काम विनाश की कर रहा है
● अपना उल्लू साध रहा है
जनता को आपस में लड़वा रहा है
● भाई जवानों के बलिदानों से
सीमा और देश सुरक्षित है।
● नेता नामक दीमक देश को लूट रहा है
आज नेता सुविधा के नाम पर
● अपने ही देश को लूट रहा है
यह बड़ी कड़वी सच्चाई है
● देश फण्ड से बड़ा पार्टी का फण्ड हो गया है
आज देश, नेताओं से आजादी की मांग रहा है भाई
● नेताओं से छुटकारा पाना है तो
बिगुल बजाओ सब मिल भाई-भाई
● नेताओं की वैसी-तैसी करो मेरे भाई
अंग्रेजों से हमने आजादी पाई
● लेकिन नेताओं से आजादी बाकी है मेरे भाई।
आज हमारे नेताजी समाज में नित नई विष फैला रहें इससे कोई दल अछूता नहीं है। वर्तमान परिवेश में हम उनके भाषण को देख रहे हैं कि उसका स्तर कितना निम्न हो चला है। उसी को ध्यान में रखते हुए नेताओं के ऊपर यह कविता लिखी है।

? बरुण कुमार सिंह... ✍️

ए-56/ए, प्रथम तल लाजपत नगर-2
नई दिल्ली-110024 मो. 9968126797
ई-मेल: barun@live.in
पालीवाल वाणी ब्यूरो-
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