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तुरन्त दान,महा कल्याण...! : राजेन्द्र सनाढ्य राजन

आपकी कलम Published by: राजेन्द्र सनाढ्य राजन Updated Tue, 13 May 2025 12:56 AM
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मजो तो आयों भाईड़ा, 

पण पूरों नी आयों, 

होचणों क ई-देखणों क ई, 

परो करो पूरों सफायों।

!!=====0=====!!

एक दन और ठौक्यां वैता, 

घूटना पे क ई,पग परा चाटतों, 

पी.ओ.के.ने हामें देवां, 

दौड़्यों-दौड़्यों परो आवतों।

!!=====0=====!!

मचक-मचक कर न बोल्यों,

रूकी जा रे म्हारा बाप, 

दो दन मा बाई याद आईगी,

तो होची लो पछे आप। 

!!=====0=====!!

किने पूछणों,किने ताछणों, 

आंखा बंद कर पड़ो टूट, 

चालवां जोगाई नी रेवें,

अस्या दो वणा ने कूट। 

!!=====0=====!!

ऐ ट्रंप न जिनपिंग हंगळा, 

एक थैली रा चट्टा-बट्टा, 

जादा चक्कर मा नी आवणों,

ऐ जनम जात हैं नकटा। 

!!=====0=====!!

कमुकम पी.ओ.के.चाई रो, 

अणी ऊं कम नी हैं मंजूर, 

भली मरी जावां,खपी जावां, 

पण अबे नी वेवें ला मजबूर। 

!!=====0=====!!

बाने पग मेल्यों लकों , 

खिंचा ला,तो वाजा ला कायर, 

वेणों जो परो वैई भाईड़ा, 

मती करो कोई सीज फायर। 

!!=====0=====!!

बाप-दादा ई कयों राजन, 

तुरंत दान- महा कल्याण, 

जादा लांबों पटकोला तो, 

घणो भारी वेवें ला नुकसाण।

घणो भारी वेवें ला नुकसाण।। 

!!=====0=====!!

राजेन्द्र सनाढ्य राजन

व्याख्याता- रा उ मा वि नमाना

नि-कोठारिया, जि-राजसमंद, राजस्थान M. 9982980777

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